Shani dev Pauranik Katha: हिन्दू धर्म में शनिदेव को न्याय का देव या कहें कर्मफलदाता कहा जाता है. शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मों का फल प्रदान करते हैं. इनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद बना रहता है. शनिवार का दिन शनिदेन को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. 


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घर में क्यों नहीं रखी जाती शनिदेवी की मूर्ति?
सनातन धर्म में कई सारे देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है. इन देवी-देवताओं की मूर्ति या तस्वीर लोग घर के मंदिर में भी रखते हैं और श्रद्धाभाव से रोज पूजा भी करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्मफलदाता शनिदेवी की मूर्ति घर में रखना अशुभ माना जाता है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. आइए जानते हैं इसकी हैरान करने वाली पौराणिक कथा.


 


शनिदेव की पत्नी ने दिया श्राप
पौराणिक कथाओं के अनुसार शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के परमभक्त थे. वह हमेशा अपने भगवान की पूजा-अर्चना करने में लीन रहते थे. एक बार शनिदेव की पत्नि शनिदेव से मिलने के लिए उनके पास गईं. उस समय भी शनिदेव कृष्ण जी की भक्ति में लीन थे. पत्नी के कई बार प्रयास करने के बाद भी शनिदेव का ध्यान नहीं टूट पाया और वह कृष्ण जी की भक्ति में ही लीन रहे. ये देखते हुए शनिदेव की पत्नी को क्रोध आया और शनिदेव को श्राप देदिया.


 


नहीं मिलते शुभ परिणाम
शनिदेव की पत्नी शनिदेव को श्राप दिया कि जिस पर भी शनिदेव की दृष्टि पड़ेगी उसके साथ शुभ नहीं होगी और परिणाम कभी भी अच्छे नहीं मिलेंगे. श्राप के बाद शनिदेव को अपनी गलती का एहसास तो हुआ लेकिन उनकी पत्नी के पास श्राप वापस लेने की शक्ति नहीं थी. इसके बाद शनिदेव अपनी नजर झुका कर ही चलते हैं, जिससे उनकी दृष्टि किसी पर भी न पड़े और किसी को भी अशुभ परिणाम न झेलने पड़े.


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नहीं देखनी चाहिए शनिदेव की आंखें
इसी कारण से शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर घर में नहीं रखी जाती है, जिससे उनकी दृष्टि किसी पर भी न पड़े और किसी का भी अमंगल न हो. ये ही कारण है कि अधिकतक मंदिर में शनिदेव की मूर्ति की जगह शिला की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कभी भी शनिदेव की आंखों को नहीं देखना चाहिए, हमेशा उनके चरणों के ही दर्शन कर आशीर्वाद लेना चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)