नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि 2020 (Navratri 2020) कल शनिवार यानी 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है. नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा स्वर्ग से धरती पर आएंगी. हिंदू धर्म में ये नौ दिनों बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा धूमधाम से की जाती है.


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भक्तों को मिलता मां का आशीर्वाद
नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की उपासना करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है. जानिए मां दुर्गा की पूजा करने का शुभ मुहूर्त, पूजन की विधि और पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के बारे में.


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कलश स्थापना का मुहूर्त
17 अक्टूबर से शुरू होने वाली नवरात्रि में सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक अलग-अलग शुभ मुहूर्तों में कलश स्थापना की जा सकती है.


सुबह 6.10 से 9.04 बजे- आश्विन घट स्थापना मुहूर्त
सुबह 9.04 से10.32 बजे- राहु काल मुहूर्त
सुबह 11.36 से दोपहर 12.22 बजे- अभिजीत मुहूर्त


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कलश स्थापना में करें इनका प्रयोग
नवरात्रि के दौरान घर व मंदिरों में कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश स्थापना के लिए आपको इन चीजों की जरूरत पड़ेगी.


जौ के लिए मिट्टी का पात्र
जौ के लिए साफ की हुई मिट्टी
घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश (सोने, चांदी या तांबे का भी हो सकता है)
कलश में भरने के लिए गंगाजल
मौली
इत्र
साबुत सुपारी
दूर्वा
कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के


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पंचरत्न
अशोक या आम के पत्ते
कलश ढकने के लिए ढक्कन
ढक्कन पर रखने के लिए साबुत चावल
पानी वाला नारियल
नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा
फूल माला


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आचमन के लिए सामग्री और विधि


1. आचमन के लिए जल लें. श्री दुर्गा देवी वस्त्रम समर्पयामि - वस्त्र, उपवस्त्र चढ़ाएं. श्री दुर्गा देवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि-सौभाग्य सूत्र चढाएं.
2. श्री दुर्गा-देव्यै पुष्पमालाम समर्पयामि- फूल, फूलमाला, बिल्व पत्र, दूर्वा चढ़ाएं.
3. श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि- इसके बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाएं.
4. श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- फल चढ़ाएं.
5. तांबुल (सुपारी, लौंग, इलायची) चढ़ाएं- श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बुलं समर्पयामि. मां दुर्गा देवी की आरती करें.


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मंत्र पढ़ते हुए पूजा करने की विधि और पूजन सामग्री


'श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।' दुर्गादेवी-आवाहयामि! - फूल, चावल चढ़ाएं.
'श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:' आसनार्थे पुष्पानी समर्पयामि।- भगवती को आसन दें। श्री दुर्गादेव्यै नम: पाद्यम, अर्ध्य, आचमन, स्नानार्थ जलं समर्पयामि। - आचमन ग्रहण करें.
श्री दुर्गा देवी दुग्धं समर्पयामि - दूध चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी दही समर्पयामि - दही चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी घृत समर्पयामि - घी चढ़ाएं.


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श्री दुर्गा देवी मधु समर्पयामि - शहद चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी शर्करा समर्पयामि - शक्कर चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी पंचामृत समर्पयामि - पंचामृत चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी गंधोदक समर्पयामि - इत्र चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी शुद्धोदक स्नानम समर्पयामि - जल चढ़ाएं.


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