महाभारत के 5 मंदिरों में से एक है दिल्ली का 'योगमाया मंदिर', जानिए इससे जुड़ी बेहद खास बातें
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महाभारत के 5 मंदिरों में से एक है दिल्ली का 'योगमाया मंदिर', जानिए इससे जुड़ी बेहद खास बातें

दक्षिण दिल्ली के महरौली में पांच हजार वर्ष पुराना योगमाया मंदिर है. कहा जाता है कि इसकी स्थापना पांडवों ने की थी. योगमाया भगवान कृष्ण की बड़ी बहन थीं.  पांडवों ने उन्हीं के वरदान से विजय गाथा लिखी थी. यहां दर्शन मात्र से बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं.

योगमाया मंदिर, दिल्ली

नई दिल्ली: दिल्ली के महरौली में स्थित श्री योगमाया मंदिर (Yogmaya Mandir) को 'जोगमाया मंदिर' (Jogmaya Mandir) के नाम से भी जाना जाता है. योगमाया मंदिर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो देवी योगमाया को समर्पित है. इस मंदिर का नाम दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में गिना जाता है. ऐसा माना जाता है कि श्री योगमाया मंदिर उन पांच मंदिरों में से एक है, जो कि महाभारत (Mahabharat) काल से हैं.

  1. योगमाया मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है
  2. 5000 वर्ष पुराने इस मंदिर में श्री कृष्ण की बड़ी बहन योगमाया विराजमान हैं
  3. यह मंदिर महाभारत काल के 5 मंदिरों में से एक है

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दिल्ली के दिल में स्थित सबसे प्राचीन मंदिर
दक्षिण दिल्ली के महरौली में पांच हजार वर्ष पुराना योगमाया मंदिर है. कहा जाता है कि इसकी स्थापना पांडवों ने की थी. मान्यता तो यह भी है कि भगवान कृष्ण ने यहां पर पूजा की थी. योगमाया भगवान कृष्ण की बड़ी बहन थीं. पांडवों ने उन्हीं के वरदान से विजय गाथा लिखी थी. यहां दर्शन मात्र से बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं.

कई बार हुआ जीर्णोद्धार
समय के प्रवाह के साथ योगमाया मंदिर का स्वरूप बदलता रहा और इसका जीर्णोद्धार होता रहा. इसका मौजूदा स्वरूप 1827 से है. कहते हैं कि तोमरवंश के राजाओं ने इसका बड़े स्तर पर जीर्णोद्धार करवाया था. यहां की दीवारों पर देवी-देवताओं को भित्तिचित्रों और पत्थरों पर नक्काशी के जरिए दिखाया गया है.

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राजधानी के किसी मंदिर में शायद ही पत्थरों पर इस तरह की नक्काशी की गई हो. इसमें आप भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र और पुष्प के साथ देख सकते हैं. तस्वीरों में माता लक्ष्मी भी हैं और मां दुर्गा की भी प्रतिमा है, जब उन्होंने महिषासुर का मर्दन किया था. इसमें विष्णु के सभी 12 अवतार भी दिखाए गए हैं.

योगमाया ने की थी श्रीकृष्ण की रक्षा
भागवत में श्रीकृष्ण के जन्म के बारे में कहा गया है कि देवी योगमाया ने कंस से उनकी रक्षा की थी. योगमाया श्रीकृष्ण की बड़ी बहन थीं. मान्यताओं के अनुसार, देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी का जन्म हुआ था. मान्यता है कि योगमाया ने ही श्रीकृष्ण के प्राणों की रक्षा थी.

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देवी का प्रसिद्ध शक्तिपीठ
योगमाया मंदिर में मूर्ति नहीं है, बल्कि काले पत्थर का गोलाकार एक पिंड संगमरमर के दो फुट गहरे कुंड में स्थापित किया हुआ है. पिंडी को लाल वस्त्र से ढका हुआ है, जिसका मुख दक्षिण की ओर है. मंदिर के द्वार पर लिखा हुआ है- योगमाये महालक्ष्मी नारायणी नमस्तुते. यह स्थान देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है.

मंदिर के नियम
मंदिर के भीतर शिव, दुर्गा, लक्ष्मी, हनुमान जी की भी प्रतिमाएं हैं. मंदिर प्रात: 5 बजे खुलता है. उससे पहले सुबह 4.30 बजे मां का फूलों से श्रृंगार होता है और फिर आरती. शाम की आरती के बाद इसके कपाट बंद कर दिए जाते हैं.

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