Shardiya Navratri 2024 Sixth Day: शारदीय नवरात्रि का पावन त्योहार चल रहा है. इस पावन अवसर पर 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. नवरात्रि का 6वां दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है. मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और व्यक्ति रोग-दोषों से मुक्त हो जाता है. शास्त्रों के अनुसार देवी कात्यायनी को कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण कात्यायनी नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं मां कात्यायनी के पूजा विधि, मंत्र, आरती और खास भोग के बारे में.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


पूजा विधि
- नवरात्र के छठे दिन सुबह उठकर स्नान करें और साथ-सुथरे कपड़े धारण कर लें. 
इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें.
सबसे पहले कलश पूजन करें और फिर मां कात्यायनी का ध्यान करें.
फिर मां को अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें.
धूप- दीप जलाकर माता रानी की चालीसा, आरती का विधि विधान से पाठ करें.
इसके बाद मां कात्यायनी को उनका प्रिय भोग लगाएं.



मां कात्यायनी का प्रिय भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी को मीठे पान का भोग लगाना शुभ माना जाता है. इससे व्यक्ति का हर प्रकार का भय समाप्त होता है.


यह भी पढ़ें: शारदीय नवरात्रि में जरूर करें लौंग के ये सरल उपाय, जग जाएगा सोया हुआ भाग्य, सुख-शांति का होगा वास


 


मां कात्यायनी मंत्र-


- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।


शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।



-ऊं क्लीं कात्यायनी महामाया महायोगिन्य घीश्वरी,


नन्द गोप सुतं देवि पतिं मे कुरुते नमः।।



पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्त अनुसारिणीम्।


तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।
 


मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र


वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।


सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥


स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।


वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥


पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।


मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥


प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।


कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥


यह भी पढ़ें: Surya Gochar: 17 अक्टूबर को तुला राशि में प्रवेश करेंगे ग्रहों के राजा, इन 5 राशियों की चमकेगी किस्मत, होगा लाभ ही लाभ!


 


मां कात्यायनी की आरती 


जय जय अम्बे जय कात्यायनी।


जय जग माता जग की महारानी॥


बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥


कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥


हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥


हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥


कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥


झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥


बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥


हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥


जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.