Sita Ashtami 2024: फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि को जानकी अष्टमी, सीता अष्टमी या फाल्गुन अष्टमी के रूप में जाना जाता है. इस बार यह 04 मार्च सोमवार को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत रख कर जनक नंदिनी जानकी माता की पूजा की जाती है. गुरुवर वशिष्ठ के कहने पर त्रेता युग में प्रभु श्री राम ने समुद्र तट की तपोमय भूमि पर बैठ कर इस व्रत को किया था. 


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सीता अष्टमी का महत्व
यदि कोई व्यक्ति अपने अभीष्ट और मनोकांक्षाओं को पूरा करना चाहता है तो उसे सीता अष्टमी का व्रत अवश्य ही करना चाहिए. इस व्रत को करने से उसका अभीष्ट सिद्ध होता है. वैसे वैशाख शुक्ल नवमी को जानकी जी का जन्म होने के कारण जानकी नवमी के रूप में उस दिन भी माता जानकी का व्रत और पूजा करनी चाहिए. 


 


इस तरह  किया जाता है पूजन 
माता जानकी का चित्र या प्रतिमा को एक साथ सुथरे पटे पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर स्थापित करना चाहिए. ऐसा चित्र या मूर्ति भी रख सकते हैं जिसमें माता सीता श्री राम चंद्र के साथ हों. इसके बाद विधिवत जल का आचमन कर शुद्ध होने के बाद, माता जानकी का पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद जौ, हवन सामग्री आदि सर्व धान्य से हवन कर खीर पूए और अन्य पारंपरिक व्यंजनों का नैवेद्य पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ चढ़ाकर अपने अभीष्ट को पूर्ण करने की प्रार्थना करनी चाहिए. 


इस व्रत और पूजन को करने से माता जानकी के साथ ही प्रभु श्री राम की कृपा भी भक्त को प्राप्त होती है. व्रत करने वाली महिलाओं को चाहिए कि वह सुहाग का सामान भी चढ़ाएं शाम को पूजा करने के बाद माता सीता को चढ़ाई गयी चीजों से ही व्रत को खोल कर सुहाग का सामान किसी सुहागिन महिला को दान कर दें. ऐसा करने से सौभाग्य, सुख शांति और धन वैभव आदि की प्राप्ति होती है.