नई दिल्ली: आज नवरात्र (Navratri) का पांचवा दिन है. इस दिन पहाड़ों पर विराजने वाली स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता जीवों में चेतना का संचार करती हैं. कहा जाता है कि माता कि कृपा से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं. स्कंद कुमार कार्तिकेय के नाम पर माता को स्कंदमाता का नाम दिया गया है.


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स्कंदमाता अपने भक्तों से जल्द पसन्न होकर उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. कई लोगों का मानना है कि माता की पूजा करने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. कहा जाता है कि स्कंदमाता हर प्रकार के संकट हर लेती हैं. स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों का जाप भी किया जाता है. इसके साथ ही लोग माता की आरती भी करते हैं.


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स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी।
जग जननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरो में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तुम ही खंडा हाथ उठाएं
दास को सदा बचाने आईं
चमन की आस पुराने आई।


5वें दिन से शुरू हो जाती हैं भव्य तैयारियां
दुर्गा पूजा को नवरात्र के अलावा दुर्गोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें भक्तों द्वारा मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है. दुनियाभर में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला 5 दिवसीय दुर्गा पूजा उत्सव बंगालियों का प्रमुख त्योहार है. इस साल यह 22 से 26 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. इसकी तैयारियां आज यानी पांचवे दिन जोर-शोर से होती हैं. वैसे तो लोग 5-दिवसीय उत्सव की तैयारियां काफी पहले से करते हैं, लेकिन मुख्य तैयारियां पांचवे दिन ही होती हैं.


पंडाल होते हैं आकर्षण का केंद्र
नवरात्र को हर कोई अपने-अपने तरीके से मनाता है. कोई इन दिनों दोनों वक्त अन्न-जल त्यागकर मां की आराधना में लीन रहता है तो कोई फलाहार लेकर व्रत करता है. तमाम भक्त ऐसे भी हैं जो अन्न-जल ग्रहण करते हैं, लेकिन सुबह-शाम माता का ध्यान करते हैं. इन दिनों लोग भक्ति में सराबोर हो जाते हैं और मस्ती का आनंद लेते हैं. पंडाल और पारंपरिक अनुष्ठानों से तमाम स्थल आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. 


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