Vinay Patrika ke Pad: तुलसीदास जी विनय पत्रिका में हनुमान जी की स्तुति करते हुए लिखते हैं कि जिसे केवल हनुमानजी का ही सहारा है, जिसकी प्रतिज्ञा सदा से पूरी होती आई है. हनुमान जी की कृपा पूर्ण चितवन सब प्रकार के कल्याणों की खान है, क्योंकि जिस पर इनकी कृपा-दृष्टि रहती है, उस पर पार्वती, शिव, लक्ष्मण, राम और जानकी की कृपा रहती है.


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पद


जाके गति है हनुमान की।
ताकी पैज पूजि आई, यह रेखा कुलिस पषान की॥


अघटित-घटन, सुघट-विघटन; ऐसी विरुदावलि नहिं आन की।
सुमिरत संकट-सोच विमोचन, मूरति मोद निधान की॥


तापर सानुकूल गिरिजा, हर, लषन, राम अरु जानकी।
तुलसी कपि की कृपा विलोकनि, खानि सकल कल्यान की॥


व्याख्या


तुलसीदास जी विनय पत्रिका में हनुमान जी की स्तुति करते हुए लिखते हैं कि जिसे केवल हनुमानजी का ही सहारा है, जिसकी प्रतिज्ञा सदा से पूरी होती आई है. यह सिद्धान्त बज्र या पत्थरके ऊपरकी लकीरके समान अमिट है. 


हनुमान जी अघटित या असम्भव घटना को सम्भव और सम्भव को असम्भव करने वाले हैं. ऐसी गुणावली दूसरे किसी की नहीं है. आनन्द-निधान श्री हनुमान जी की मूर्ति का स्मरण करते ही तमाम संकट और शोक नष्ट हो जाते हैं 


हे तुलसीदास. हनुमान जी की कृपा पूर्ण चितवन सब प्रकार के कल्याणों की खान है, क्योंकि जिस पर इनकी कृपा-दृष्टि रहती है, उस पर पार्वती, शिव, लक्ष्मण, राम और जानकी की कृपा रहती है.


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