Adhai Din Ka Jhopra: `अढ़ाई दिन का झोपड़ा` मस्जिद नहीं मंदिर था? Zee News की पड़ताल में मिले ऐसे सबूत, खड़े हो जाएंगे रौंगटे
What is Adhai Din Ka Jhopra: क्या अजमेर में मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा `अढ़ाई दिन का झोपड़ा` एक मंदिर था. Zee News की इस बारे में की गई पड़ताल में ऐसे सबूत मिले हैं, जिससे आप हैरान रह जाएंगे.
History of Adhai Din Ka Jhopra: अजमेर में मौजूद 'अढ़ाई दिन का झोपड़ा' मस्जिद को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है. अजमेर के डिप्टी मेयर ने मस्जिद के सर्वे की मांग की है. दावा किया है कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद नहीं बल्कि एक हिंदू जैन मंदिर था. दावा ये भी कि आक्रमणकारियों ने मंदिर को तोड़कर मूर्तियों और कलाकृतियों को तहस-नहस कर मस्जिद बनाई. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अजमेर का अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद है या मंदिर. आखिर क्या है डिप्टी मेयर के दावे का सच.
क्या जैन मंदिर को तोड़कर बनी मस्जिद?
अजमेर दरगाह से महज 450 मीटर की दूरी पर एक और मस्जिद मौजूद है. जो करीब 800 साल पुरानी है. बता दें कि दरगाह शरीफ की तरह इस मस्जिद को लेकर भी विवाद छिड़ चुका है. सर्वे की मांग की जा रही है. जानते हैं 800 साल पुरानी ये मस्जिद किस नाम से जानी जाती है. इसका नाम है अढ़ाई दिन का झोपड़ा.
दावा किया जाता है कि...करीब 800 साल पहले 1192 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मस्जिद को बनवाया था. शायद यही वजह है कि ASI यानि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आने वाली ये ऐतिहासिक इमारत इस्लाम की प्रतीक बन गई. मगर अब अजमेर के डिप्टी मेयर ने दावा किया है कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक मस्जिद नहीं बल्कि एक हिंदू जैन मंदिर था. यहां पर संस्कृत विश्वविद्यालय था, जिसे आक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर दिया था.
ASI के पुराने सर्वे में मिली थी 250 प्रतिमाएं
अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने ये भी दावा किया कि ASI के पुराने सर्वे में इस जगह से 250 से ज्यादा मूर्तियां मिली थी. दावा ये भी किया गया कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा में जगह-जगह पर स्वास्तिक, घंटियां और संस्कृत के श्लोक लिखे हैं.
बता दें कि इससे पहले भी हिंदू संगठनों की तरफ से इस तरह की मांग उठाई गई थी और इसके लिए कई बार धरना-प्रदर्शन भी किए थे. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि अढ़ाई दिन का झोपड़ा को लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, उनमें कितनी सच्चाई है. क्या वाकई अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक मस्जिद नहीं बल्कि हिंदू जैन मंदिर था. क्या वाकई यहां हजारों साल पहले संस्कृत विश्वविद्यालय था.
ज़ी न्यूज की पड़ताल में निकला बड़ा सच
ये पता लगाने के लिए हमने इतिहास से जुड़े सबूत खंगालने के लिए इमारत के हर कोने का मुआयना किया. यकीन मानिए, जो सच सामने आया, वो चौंकाने वाला था. अढ़ाई दिन के झोपड़े की दर-ओ-दीवारें...उसके खंभे...उसकी छत.. और इतिहास की किताब में दर्ज साक्ष्य...सबकुछ उसके मंदिर होने की गवाही दे रहे थे.
मस्जिद की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां, खंभों पर चार हाथ वाली देवियों की खंडित मूर्तियां, स्वास्तिक के निशान, मंदिर की तरह बनी छत और हिंदू कलाकृतियां इस ऐतिहासिक इमारत के मंदिर होने के दावे को पुख्ता कर रही थीं.
मंदिर होने के बावजूद जबरन बताया गया मस्जिद
अढ़ाई दिन के झोपड़े के इन 300 खंभों को देखकर ये कोई नहीं कहेगा कि ये मस्जिद है...बावजूद इसके अढाई दिन का झोपड़ा को इतिहास के पन्नों में मस्जिद का दर्जा दिया गया. वो भी तब जब ASI ने इसके हिंदू मंदिर होने के सबूत दिए थे. वो भी तब जब अढ़ाई दिन के झोपड़े के खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न आज भी नजर आते हैं. हालांकि दूसरा पक्ष भी अढ़ाई दिन के झोपड़े को लेकर अपने अलग दावे करता है.
तस्वीरें हकीकत से पर्दा उठाने के लिए काफी हैं. लेकिन सिर्फ तस्वीरों के आधार पर किसी नतीजे तक पहुंचना वाजिब नहीं.अब ये देखना होगा कि अजमेर के डिप्टी मेयर ने अढ़ाई दिन के झोपड़े को लेकर जो दावे किए. फिर से सर्वे की मांग की है. क्या उस पर संज्ञान लिया जाएगा.
(अजमेर से अभिजीत दवे की रिपोर्ट)