Vinayak Chaturthi: हर महीने में चतुर्थी का दो व्रत आता है. दोनों चतुर्थी का अलग-अलग महत्व होता है. एक चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं तो दूसरे को विनायक चतुर्थी कहते हैं. लेकिन अब लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी को कैसे पहचानें.
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Vinayak Chaturthi: हर महीने में चतुर्थी का दो व्रत आता है. दोनों चतुर्थी का अलग-अलग महत्व होता है. एक चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं तो दूसरे को विनायक चतुर्थी कहते हैं. लेकिन अब लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी को कैसे पहचानें. तो आज हम अपने पाठकों के लिए बता रहे हैं कि किस चतुर्थी को किस नाम से जानते हैं.
दो तरह के होते हैं चतुर्थी
हिंदू कैलेंडर की चंद्र तिथि के मुताबिक एक चतुर्थी शुक्ल पक्ष में आता है जबकि दूसरी चतुर्थी कृष्ण पक्ष में.ऐसे में शास्त्रों की माने तो अमावस्या के बाद जो चतुर्थी आती है वह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी कहलाती है. यानि कि इसी चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं. वहीं कृष्ण पक्ष के दौरान यानि कि पूर्णिमा के बाद जो चतुर्थी आती है उसे संकष्टी चतुर्थी या कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कहते हैं.
इस दिन होती है गणेश जी की पूजा
हिंदू कैलेंडरों के मुताबिक चतुर्थी की दोनों तिथियां विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है. ऐसे में जो भी व्यक्ति भगवान गणेश जी को अपना ईस्ट देव मानता है वह इस मौके पर भगवान गणेश की पूजा करता है. इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से भगवान गणेश उनके दुखों को हर लेते हैं.
प्रथम पूजनीय हैं गणेश जी
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा में सबसे पहले गजानन की पूजा होती है उसके बाद ही किसी अन्य देवातओं का आह्वान किया जाता है. मान्यता है कि प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा करने से धन्य-धान्य की वृद्धि होती है और भगवान गणेश अपने भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं. इस दिन गणेश जी की पूजा के बाद उनकी आरती जरूर करें. अगर कोई व्यक्ति पूजा करता है और आरती नहीं करता है तो उसे पूर्ण फल नहीं मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)