Kalagni Shiv Relation: कालाग्नि को सृष्टि का संहारक कहा जाता है. इस दिव्य ज्वाला की उत्पत्ती से जुड़ी धार्मिक मान्यता है. इस ज्वाला की उत्पत्ती भगवान शिव के इस अंग से हुई थी. इसकी गिनती विनाशक के रूप में होती है साथ ही इससे सृजन को भी बल मिलता है.
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Kalagni Shiv Relation: कालाग्नि को सृष्टि का संहारक कहा जाता है. इस दिव्य ज्वाला की उत्पत्ती से जुड़ी धार्मिक मान्यता है. इस ज्वाला की उत्पत्ती भगवान शिव के मुख से हुई है. इस ज्वाला की गिनती विनाशक के रूप में होती है साथ ही इससे सृजन को भी बल मिलता है. भगवान शिव के विशेष पूजा रुद्राभिषेक पूजा के दौरान कालाग्नि का ध्यान किया जाता है. इस पूजा के दौरान कालाग्नि की आरधना की जाती है.
ऐसे करते हैं शिव अपने भक्तों की रक्षा
भगवान शिव अपने भक्तो को इसी ज्वाला के जरिए शत्रुओं से रक्षा करते हैं. बहुत ही कम लोगों को इस बारे में जानकारी है कि आखिर इस ज्वाला की उत्पत्ती कैसे हुई. तो चलिए जानते हैं कि कैसे हुई इसकी उत्पत्ति और क्या है इसका आध्यात्मिक महत्व. तो चलिए जानते हैं धार्मिक और पौराणिक पहलू.
त्रिपुरासुर नाम के असुर का किया था वध
शिव पुराण के मुताबिक त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध करने के लिए भगवान शिव ने कालाग्नि को उत्पन्न किया था. इसकी उत्पत्ति शिव जी ने अपने मुंह से की थी. कालाग्नि ज्वाला इतनी प्रचंड और शक्तिशाली थी कि पलक झपकते ही त्रिपुरासुर को जलाकर खाक कर दिया. जिसके बाद इसकी पूजा दुखों को नाश करने के लिए किया जाने लगा.
बहुत ही उग्र ज्वाला है कालाग्नि
कालाग्नि की ज्वाला बहुत ही उग्र मानी जाती है. यह ज्वाला विनाशकारी और दैवीय शक्ति से भरपूर मानी जाती है. यह बुराई को चुटकी बजाते ही भस्म करते हुए उसका अंत कर देती है. इस शक्ति से नकारात्मकता का नाश होता है. इसलिए इस ज्वाला की पूजा की जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)