Ravana & Lord Shiva: अहंकार इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है. घमंड अगर सिर चढ़ जाए तो व्यक्ति अपने आगे किसी को कुछ समझता ही नहीं है. 'स्वर्ण स्वर भारत' नाम के कार्यक्रम में कवि कुमार विश्वास ने एक पौराणिक कथा के जरिए समझाया कि कैसे अहंकार अच्छे, बुरे, सात्विक और तामसिक किसी के भी पास तक पहुंचता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कुमार विश्वास ने लंका नरेश रावण की एक कहानी सुनाई, जो परम शिव भक्त और तीनों लोकों का विजेता था. रावण के बल के आगे देवता भी कांपते थे. भगवान शिव और ब्रह्मा की तपस्या करके उसने विशेष बल और कई अस्त्र-शस्त्र हासिल किए थे. इसके बाद अहंकार उसके सिर चढ़ गया. लेकिन भगवान शिव ने पैर के एक अंगूठे से उसका सारा घमंड चूर-चूर कर दिया. आइए जानते हैं ये कहानी कुमार विश्वास की जुबानी.


कुमार विश्वास कहते हैं, 'एक बार रावण के मन में ख्याल आया कि इतना बल, इतनी सिद्धि हासिल कर ली लेकिन आराध्य भगवान शिव तो कैलाश पर्वत पर रहते हैं. भगवान को मेरे जैसे भक्त के बारे में भी सोचना चाहिए. उस अहंकारी का दुस्साहस देखिए कि जिनके नेत्रों की पलक बदलने से लय प्रलय में बदल जाती है, उन भोलेनाथ को लंका ले जाने की ठान वह कैलाश पर्वत पर जा पहुंचा. 



पहले तो रावण ने भगवान शिव से लंका में निवास करने को कहा लेकिन जब महादेव नहीं माने तो रावण ने सोचा कि जब मुझमें इतना बल है, दुनिया को जीत लिया तो कैलाश को भी उठाकर लंका ले जाता हूं. भगवान समेत तीनों लोक यहां बस जाएंगे. '


आगे विश्वास ने कहा, 'जब रावण ने कैलाश पर्वत के नीचे जाकर जोर लगाया तो थोड़ी हलचल हुई. जीव-जंतु भयभीत हो उठे. रावण ने थोड़ा और बल प्रयोग किया तो कैलाश थोड़ा और ऊपर उठा. ये सब देखकर भोलेनाथ ने सोचा कि अब इस शिष्य को बताया जाए कि बल आखिर होता क्या है.'


कवि कुमार विश्वास कहते हैं, 'इसके बाद भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश को दबाया. अब भगवान की इच्छा के आगे किसी का बल कहां ठहरता है. रावण से वो पर्वत टस से मस नहीं हो पा रहा था और इसी क्रम में कैलाश पर्वत के नीचे उसका हाथ आ गया. हम अकसर अहंकार में अपना हाथ यानी पुरुषार्थ फंसा लेते हैं. रावण का हाथ ऐसा फंसा कि निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था. उसने पूरी शक्ति लगाई लेकिन पर्वत जरा भी नहीं हिला और उस तथाकथित बलशाली को महादेव की स्तुति करनी पड़ी.इसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने रावण का हाथ मुक्त कर उसका अहंकार भी चूर-चूर कर दिया.'


अपनी निःशुल्क कुंडली पाने के लिए यहाँ तुरंत क्लिक करें


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)