बांके बिहारी मंदिर वृंदावन में पहले भी मच चुकी है भगदड़, जानें इसका इतिहास समेत अहम बातें
Banke Bihari Temple Vrindavan: हाल ही में वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में मची भगदड़ में 2 महिलाओं की मौत हो गई है. इससे पहले भी इस मंदिर में क्षमता से कई गुना ज्यादा श्रद्धालु पहुंचने से हालात बिगड़ चुके हैं.
Banke Bihari Temple Vrindavan History: वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर दुनिया के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं. यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पूछते हैं. ठाकुर जी की कृष्ण रंग के दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ यहां जुटती है. मंगला आरती के समय यह भीड़ और भी ज्यादा बढ़ जाती है. इसके अलावा जन्माष्टमी, होली, नए साल के मौके पर तो यहां मानो श्रद्धालुओं का समंदर उमड़ पड़ता है. ऐसे में हालात बिगड़ जाते हैं और भक्तों का जीवन तक संकट में पड़ जाता है. हाल ही में 24 दिसंबर 2023 को मची भगदड़ में 2 महिलाओं की मौत हो गई है. खत्म होते साल के इस वीकेंड और क्रिसमस की छुट्टी के कारण पड़े 3 दिन के सप्ताहांत में यहां भारी संख्या में लोग पहुंचे थे, जिससे हालात बुरी तरह बिगड़ गए. इस भारी भीड़ के बीच मची भगदड़ ने 2 महिलाओं की जान ले ली. वहीं कई लोग घायल हो गए.
पिछले साल भी हुईं थीं 2 मौतें
पिछले साल अगस्त 2022 में भी बांके बिहारी मंदिर में इसी तरह भगदड़ मच गई थी. ठाकुर जी की मंगला आरती के साक्षी बनने के लिए यहां लोगों की भारी भीड़ पहुंची थी. इस बीच यहां उमस भी बहुत बढ़ गई. तभी अचानक घबराकर भीड़ का हिस्सा निकास द्वार की ओर बढ़ा, तभी वहां अफरा-तफरी में कुछ लोग जमीन पर गिर गए. इसके बाद भगदड़ मच गई और अन्य लोग इन लोगों को रौंदते हुए आगे बढ़ गए. इस हादसे में भी 2 लोगों की मौत हो गई थी और कुछ लोग घायल हो गए थे.
हर साल बढ़ रही भीड़
बांकें बिहारी मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन करने के लिए उमड़ने वाली भीड़ में दिनों-दिन बढ़ोतरी ही होती जा रही है. आम दिनों में पहले वृंदावन में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की तादाद हजारों में होती थी, अब वह बढ़कर डेढ़ लाख प्रतिदिन पहुंच गई है. वहीं वीकेंड पर यह संख्या 2 लाख पार कर जाती है. इसके अलावा होली, जन्माष्टमी, लंबे वीकेंड और नए साल के मौके पर यहां रोजाना 5 से 7 लाख लोग तक पहुंचते हैं. चूंकि बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक है लिहाजा वृंदावन आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं. इसके अलावा मंदिर तक पहुंचने के लिए तंग गलियों से होकर गुजरना पड़ता है. साथ ही मंदिर परिसर के अंदर आरती के वक्त लोगों के उमड़े हुजुम को संभालने के लिए प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित होते हैं.
यहां तक कि मंदिर के आसपास रहने वालों के लिए भी यह भीड़ काफी मुश्किलें पेश करती है. खास मौकों पर भारी भीड़ के चलते आसपास के रहवासी घरों में कैद रहने पर मजबूर हो जाते हैं. बच्चों के लिए स्कूल आना-जाना, बीमारों का अस्पताल पहुंचना तक मुश्किल हो जाता है.
बांके बिहारी मंदिर का इतिहास
बांके बिहारी मंदिर का निर्माण 1860 में कराया गया था. इस मंदिर में स्थापित बांके बिहारी की यह छवि स्वामी हरिदास जी ने निधि वन में खोजी थी. स्वामी हरिदास जी भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे और उनका संबंध निम्बर्क पंथ से था. बाद में स्वामी हरिदास जी के अनुयायियों ने 1921 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था.
बांके बिहारी मंदिर में स्थापित बिहारी जी की काले रंग की प्रतिमा है. मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात् भगवान श्री कृष्ण और राधारानी समाए हुए हैं. इस मूर्ति के दर्शन से राधा और कृष्ण दोनों के दर्शन करने का फल मिल जाता है. हर साल अक्षय तृतीया यानी कि मार्गशीर्ष मास की पंचमी तिथि को बांके बिहारी मंदिर में बांके बिहारी प्रकटोत्सव मनाया जाता है. साल में केवल इसी दिन बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं. इस दिन भगवान के चरणों के दर्शन करना बहुत शुभ होता है.