अफ्रीका महाद्वीप का जिक्र आते ही जेहन में मिस्र के पिरामिड, नील नदी तो आते ही हैं उसके साथ सहारा का मरुस्थल भी याद आता है. दुनिया के सबसे बड़े शुष्क मरुस्थल में इसे सुमार किया जाता है. लेकिन क्या सहारा मरुस्थल ऐसा ही था. जी नहीं सहारा मरुस्थल 21 हजार साल पहले घने जंगलों की तरह था जहां सूरज की रोशनी का आना संभव नहीं हो पाता था. लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से यह उजाड़खंड हो गया. अब सवाल यह है कि क्या यह मरुस्थल दोबारा हरा भरा हो जाएगा.


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कभी हरा भरा जंगल होता था सहारा


करीब 15000 से लेकर पांच हजार साल पहले की अवधि में सहारा एक हरा-भरा जंगल था. नवीनतम शोध इस बात की पुष्टि करता है कि जिसे सुनकर आप हैरत में पड़ सकते हैं. लेकिन पर्यावरणीय बदलाव की वजह से तस्वीर बदल गई. हेलसिंकी विश्वविद्यालय और ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक डॉ. एडवर्ड आर्मस्ट्रांग ने कहा कि सहारा रेगिस्तान का सवाना और वुडलैंड पारिस्थितिक तंत्र में चक्रीय परिवर्तन ग्रह पर सबसे उल्लेखनीय पर्यावरणीय परिवर्तनों में से एक है.


जब नेचर ने फेर ली नजर


नए शोध में हाल ही में विकसित जलवायु मॉडल का उपयोग करके पिछले 800,000 वर्षों के दौरान तथाकथित उत्तर अफ्रीकी आर्द्र काल को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश की गई. आम तौर पर इस बात पर सहमति है कि सहारा की हरियाली पृथ्वी के अपनी धुरी पर डगमगाने, मौसम को प्रभावित करने और ग्रह के इस हिस्से द्वारा प्राप्त ऊर्जा की मात्रा को निर्धारित करने के कारण हुई. यह अफ्रीकी मानसून की ताकत को प्रभावित करता है जो यह नियंत्रित करने में मदद करता है कि इस विशाल क्षेत्र में कितनी वनस्पति फैलती है.


अब आगे क्या


यह चक्र उत्तरी गोलार्ध में सुदूर उच्च अक्षांश वाली बर्फ की चादरों से प्रभावित हो सकता है। उनका काम बताता है कि हिम युग के दौरान आर्द्र अवधि नहीं होती थी, जब पृथ्वी के अधिकांश उच्च अक्षांश मोटी हिमनद बर्फ की चादरों में ढके हुए थे. उनका अनुमान है कि इन बर्फ की चादरों ने रेफ्रिजरेटर की तरह वातावरण को ठंडा करने में मदद की, अफ्रीकी मानसून प्रणाली को सीमित कर दिया और सहारा रेगिस्तान में पौधों के जीवन के विकास को रोक दिया. उत्तरी अफ्रीका का चक्रीय परिवर्तन केवल सहारा के लिए ही बड़ी बात नहीं है, इसका हमारी अपनी कहानी पर भी बहुत बड़ा प्रभाव है. हेलसिंकी विश्वविद्यालय में होमिनिन पर्यावरण के सह-लेखक और सहायक प्रोफेसर मिक्का तल्लावारा ने बताया, "सहारा क्षेत्र उत्तरी और उप-सहारा अफ्रीका दोनों के बीच और महाद्वीप के अंदर और बाहर प्रजातियों के फैलाव को नियंत्रित करने वाला एक द्वार है. जब सहारा हरा-भरा था तब दरवाज़ा खुला था और जब रेगिस्तान था तब दरवाज़ा बंद था. आर्द्र और शुष्क चरणों के इस विकल्प का अफ्रीका में प्रजातियों के फैलाव और विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ा.