नई दिल्ली: अब तक आपने प्यारे खरगोश को फुदकते देखा होगा. लेकिन ऐल्फर्ट जंपिंग खरगोश एक खास तरह का प्राणी है जो अपने आगे के पैरों पर कूदता है और इसके पीछे के पैर हवा में होते हैं इसी अंदाज में ये खरगोश बैलेंस बनाते हुए चलते हैं. पिछले 80 साल से ये वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ था लेकिन अंततः अब इसका राज खुल गया है.


क्या कहता है शोध 


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सबसे पहले 1935 में इस प्रजाति की खोज हुई थी. और इसके बाद से वैज्ञानिकों ने लगातार इसके पीछे की वजह को समझने की कोशिश की है. BBC रिपोर्ट के मुताबिक, Sauteur d'Alfort खरगोशों में RORB जीन और म्यूटेशन के कारण रीढ़ की हड्डी में इंटरन्यूरॉन्स को नुकसान होता है. इसके शोधकर्ता लीफ ऐंडरसन ने बताया कि आम खरगोश न्यूरॉन मांसपेशियों में मूवमेंट कोऑर्डिनेट करते हैं और हाथ-पैरों में बैलेंस बनाते हैं और फिर दोनों की मदद से फुदकते हैं.



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ऐल्फर्ट खरगोशों में कोऑर्डिनेशन नहीं


ऐल्फर्ट खरगोशों में यह कोऑर्डिनेशन नहीं होता और न ही बैलेंस बन पाता है. ऐसे में, इन खरगोशों में ये इंटरन्यूरॉन या तो पूरी तरह से गायब थे या कम थे. और इसीलिए ये फुदक नहीं पाते हैं बल्कि आगे के पैरों पर चलते हैं. इनके पीछे के पैर हवा में दिखते हैं.


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कूदने की क्षमता नहीं 


दूसरी प्रजातियों के खरगोश की तरह इनमें कूदने की क्षमता न होने की वजह से ये हाथ के बल पर चलते हैं. ये अपने आगे के पैरों पर चलते हैं जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव कम होता है. वैज्ञानिकों ने ऐल्फर्ट खरगोशों की दूसरे खरगोशों के साथ ब्रीडिंग की जो आसानी से फुदक और कूद सकते थे. इसके बाद इनके 50 बच्चों का DNA अरेंज किया गया. फिर इन बच्चों के RORB जीन में म्यूटेशन का पता चला. ये उन खरगोशों में था जो हाथ पर चल रहे थे. 


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