Stephen Hawking Black Hole Theory: स्टीफन हॉकिंग की गिनती 21वीं सदी के महानतम वैज्ञानिकों में होती है. 2018 में दुनिया को अलविदा कहने वाले हॉकिंग का मानना था कि कुछ भी हमेशा नहीं रहता. अब वैज्ञानिक शायद उनकी इस बात को साबित कर पाने में सक्षम हुए हैं. स्टीफन हॉकिंग की परिकल्पना थी कि ब्लैक होल से थर्मल रेडिएशन 'लीक' होकर उसे भाप बनाता रहता है. अंत में एक भयानक धमाके के साथ ब्लैक होल का अंत हो जाता है. इस रेडिएशन को 'हॉकिंग रेडिएशन' के नाम से जाना जाता है.


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अभी तक वैज्ञानिक 'हॉकिंग रेडिएशन' का पता नहीं लगा सके थे. यह केवल सिद्धांत के रूप में ही मौजूद था लेकिन अब कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि उन्होंने इसकी खोज का तरीका ढूंढ लिया है. इन वैज्ञानिकों का नेतृत्व यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट फ्रांसेस्को सन्नीनो कर रहे हैं. उनकी टीम का कहना है कि जब बड़े ब्लैक होल आपस में टकराने के बाद मिल जाते हैं, तब शायद छोटे और गर्म 'टुकड़े' वाले ब्लैक होल अंतरिक्ष में लॉन्च होते हैं.


स्टीफन हॉकिंग की वो भविष्यवाणी


हॉकिंग ने कहा था कि ब्लैक होल जितना छोटा होगा, उससे उतना ही ज्यादा रेडिएशन लीक होगा. यानी महाविशाल ब्लैक होल (सूर्य से अरबों-खरबों गुना ज्यादा द्रव्यमान वाले) पूरी तरह 'लीक' होने में ब्रह्मांड की संभावित उम्र से कहीं ज्यादा समय ले लेंगे. यानी हम शायद ही इतने बड़े समयकाल पर होने वाले लीक का पता लगा पाएं. लेकिन किसी एस्टेरॉयड बराबर द्रव्यमान वाले ब्लैक होल टुकड़ों में इस लीक को देखा जा सकता है.


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इस तरह के छोटे ब्लैक होल उस टाइम स्केल पर वाष्पित होकर फटते हैं कि इंसान उन्हें देख पाए. रिसर्च टीम के मुताबिक, इन ब्लैक होल्स की जिंदगी के अंत का पता हॉकिंग रेडिएशन के लीक होने से लगाया जा सकता है. सन्नीनो ने स्पेस डॉट कॉम से बातचीत में कहा, 'हॉकिंग ने भविष्यवाणी की थी कि ब्लैक होल कणों का उत्सर्जन करके वाष्पित हो जाते हैं.'


अब तक क्यों नहीं हो पाई हॉकिंग रेडिएशन की खोज


हॉकिंग ने इस रेडिएशन का जिक्र पहली बार करीब पांच दशक पहले, 1974 में एक चिट्ठी में किया था. Black hole explosions? शीर्षक वाली वह चिट्ठी Nature पत्रिका में छपी थी. उस चिट्ठी में हॉकिंग ने ब्लैक होल की औपचारिकता पर क्वांटम भौतिकी के निहितार्थों पर विचार किया था, जो अल्बर्ट आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत से उत्पन्न होने वाली घटनाएं हैं. यह दिलचस्प था क्योंकि क्वांटम थ्योरी और सामान्य सापेक्षता दो ऐसे सिद्धांत हैं जो आज भी एकीकरण का विरोध करते हैं.


हाकिंग रेडिएशन की खोज पिछले 50 सालों में दो मुख्य वजहों से नहीं हो पाई. पहला- शायद अधिकतर ब्लैक होल इस थर्मल रेडिएशन का उत्सर्जन नहीं करते. और दूसरा- अगर होता भी है तो शायद वह डिटेक्ट करने योग्य न हो. चूंकि ब्लैक होल बेहद जटिल ऑब्जेक्ट होते हैं, उनके बारे में कुछ भी स्टडी करना बेहद पेचीदा होता है.


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सीधे फोटो नहीं ले सकते, फिर क्या है तरीका?


फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च के जियाकोमो कैसियापाग्लिया ने Space.com को बताया कि आज के ब्रह्मांड में मौजूद अधिकतर ब्लैक होल हमारे सूर्य से कई गुना बड़े हैं, वे ऐसा हॉकिंग रेडिएशन नहीं उत्सर्जित कर सकते जिसे पकड़ा जा सके. कैसियापाग्लिया के अनुसार, 'केवल चंद्रमा से हल्के ब्लैक होल ही हॉकिंग रेडिएशन उत्सर्जित कर सकते हैं. हमारा प्रस्ताव है कि इस प्रकार का ब्लैक होल, ब्लैक होल विलय के दौरान उत्पन्न और उत्सर्जित हो सकता है और इसके निर्माण के तुरंत बाद रेडिएशन शुरू कर सकता है.'


लेकिन ये ब्लैक होल इतने छोटे होते हैं कि उनकी सीधी तस्वीर नहीं ली जा सकती. रिसर्च टीम का सुझाव है कि इन ब्लैक होल की मौजूदगी का पता लगाने के लिए गामा किरणों के विस्फोट का सहारा लिया जा सकता है. जिन इलाकों में ब्लैक होल का विलय होता है, वहां गामा किरण विस्फोट देखे जाते हैं.