Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की सफलता से अब सारी दुनिया वाकिफ है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिग ने दुनिया को भारत की ताकत का लोहा मनवा दिया है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी भी देश ने सफल लैंडिंग नहीं की है. चंद्रयान-3 मिशन के लेटेस्ट अपडेट की बात करें तो यह सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है. ISRO ने रविवार को चंद्रयान-3 मिशन से जुड़ा बड़ा अपडेट दिया है. 


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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे ‘चेस्ट’ उपकरण द्वारा चंद्र सतह पर मापी गई तापमान भिन्नता का एक ग्राफ रविवार को जारी किया. अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा.



इसरो द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक विक्रम लैंडर पर लगे ChaSTE ने चंद्रमा की सतह का तापमान मापा और यह 50 डिग्री सेल्सियस है. वहीं, गहराई में जाने पर तापमान में तेजी से गिरावट दर्ज की गई. 80 मिलीमीटर भीतर जाने पर तापमान गिरकर -10 डिग्री तक पहुंच गया.


इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रलेख को मापा.’ पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है.



इसरो ने कहा, ‘इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं. प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं. विस्तृत अवलोकन जारी है.’ पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली एक टीम द्वारा विकसित किया गया था.


अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया.


(एजेंसी इनपुट के साथ)