Worms Living In Chernobyl: चेर्नोबिल दुर्घटना (1986) ने ऐसी तबाही मचाई कि 30 किलोमीटर का इलाका खाली कराना पड़ा. रेडिएशन की वजह से आज सैकड़ों किलोमीटर का इलाका सुनसान पड़ा है. चेर्नोबिल एक्सक्लूजन जोन (CEZ), यूक्रेन में चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट के आसपास लगभग 2,600 किमी² के क्षेत्र को कवर करता है. यहां रेडिएशन बहुत ज्यादा है इसलिए यह इलाका आम पहुंच से प्रतिबंधित है. केवल खास परमिशन के बाद ही यहां जा सकते हैं.


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चेर्नोबिल एक्सक्लूजन जोन में रेडिएशन की वजह से इंसान की जान को खतरा है. पावर प्लांट के आसपास तो रेडिएशन का लेवल बेहद घातक है. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस इलाके इंसान के रहने के लिए सुरक्षित बनाने में हजारों साल लग सकते हैं. हालांकि, नई रिसर्च बताती है कि जहां इंसान नहीं रह सकते, वहां एक तरह के कीड़े मजे से घूम रहे हैं.


रेडिएशन से इन कीड़ों को कोई नुकसान नहीं


ये कीड़े न सिर्फ जीवित हैं, बल्कि रेडियोएक्टिव वातावरण में फल-फूल रहे हैं. Proceedings of the National Academy of Sciences में छपी रिसर्च के अनुसार, बेहद रेडियोएक्टिव वातावरण में रहने वाले सूक्ष्म नेमाटोडों में रेडिएशन की वजह से जेनेटिक डैमेज के कोई लक्षण नहीं दिखे हैं. खतरनाक परिस्थितियों के बावजूद, ये कीड़े बड़ी अच्छी तरह से अनुकूलित हो गए हैं.


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यह खोज क्यों अहम है?


खतरनाक परिस्थितियों में जीवित बचे रहने की कीड़ों की क्षमता में वैज्ञानिकों की दिलचस्पी है. यह खोज DNA रिपेयरिंग तंत्र के लिए दिलचस्प संभावनाएं पैदा करती है, जिससे मानव चिकित्सा को लाभ हो सकता है. न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय की बायोलॉजिस्ट सोफिया टिंटोरी के नेतृत्व में चली रिसर्च में नेमाटोड (सूक्ष्म गोल कृमि) पर फोकस किया गया, खासतौर से ओशियस टिपुले प्रजाति पर. इन्हें CEZ के भीतर विभिन्न जगहों से जमा किया गया था.


रिसर्च टीम ने CEZ की मिट्टी, पत्तियों और सड़े हुए फलों से सैकड़ों नेमाटोड जमा किए. उन्होंने लगभग 300 वर्म्स का कल्चर किया और जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए ओ. टिपुले के 15 नमूनों को चुना. फिर उनकी तुलना फिलीपींस, जर्मनी, अमेरिका, मॉरीशस और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के अन्य हिस्सों के नमूनों से की. अपेक्षाओं के विपरीत, CEZ के नेमाटोड्स में कोई महत्वपूर्ण आनुवंशिक क्षति नहीं देखी गई.


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इंसानों में कैंसर की संवेदनशीलता के बारे में मिल सकती है जानकारी


इससे पता चलता है कि इन कीड़ों में वातावरण के रेडिएशन लेवल के हिसाब से ज्यादा म्यूटेशन हुए या क्रोमोसोम्स का रीअरेंजमेंट हुआ. निष्कर्षों से पता चलता है कि इन नेमाटोडों में रेडिएशन के प्रति असाधारण लचीलापन होता है. यह लचीलापन इंसानों में डीएनए की मरम्मत और कैंसर की संवेदनशीलता के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकता है.