चीन ने `चंद्रमा देवी` अभियान की शुरुआत की, रातें क्यों होती हैं सर्द, लगाएगा पता
चंद्र अभियान ‘चांग‘ई-4’ का नाम चीनी पौराणिक कथा अनुसार चंद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है.
बीजिंग: चंद्रमा के अज्ञात हिस्सों की जानकारी जुटाने के लिये भेजा गया चीन का चंद्र रोवर ‘चांग ई-4’ रात के दौरान चंद्रमा पर रहने वाले जमाव बिंदु के तापमान का पता लगायेगा. वैज्ञानिकों ने रविवार को यह जानकारी दी. चंद्र अभियान ‘चांग‘ई-4’ का नाम चीनी पौराणिक कथा अनुसार चंद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है. धरती से कभी न दिखने वाले चंद्रमा के पिछले हिस्से पर यह यान तीन जनवरी को उतरा था. यह अब तक पहला यान है जिसे चंद्रमा के सबसे अछूते हिस्से पर उतारा गया है. चांग ई-4 के सफल प्रक्षेपण को खगोलीय अवलोकन की दिशा में चीन की एक लंबी छलांग माना जा रहा है और इससे अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की दिशा में उसकी महत्वाकांक्षाओं को काफी बल मिला है.
चूंकि चंद्रमा का परिक्रमा चक्र और घूर्णन चक्र समान होता है इसलिए धरती से चंद्रमा का एक ही पक्ष हमेशा दिखता है और इसके दूसर पक्ष के अधिकतर हिस्से को नहीं देखा जा सकता है. धरती से नजर नहीं आने वाले चंद्रमा के उस पक्ष को ही ‘‘डार्क साइड’’ कहते हैं. यानी अंधकार की वजह से नहीं बल्कि अज्ञात एवं अनछुआ होने के चलते इसे ‘‘डार्क साइड’’ कहा जाता है.
चंद्रमा पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है और रात भी उतनी ही लंबी होती है. चांद पर दिन और रात के तापमान में भीषण अंतर होता है. वैज्ञानिकों का आकलन है कि दिन के दौरान अत्यधिक तापमान 127 डिग्री सेल्सियस के आस पास जबकि रात का तापमान शून्य से 183 डिग्री सेल्सियस नीचे तक पहुंच सकता है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के अनुसार 2013 में चीन ने चांग ई-3 का प्रक्षेपण किया था. पिछले पांच साल में 60 चंद्र रात्रि से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी इसके वैज्ञानिक उपकरण अब भी वहां अपने लैंडर पर ठीक अवस्था में कार्यरत हैं.
चाइना अकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (सीएएसटी) से चांग ई-4 अन्वेषण परियोजना की कार्यकारी निदेशक झांग हे ने ‘शिन्हुआ’ को बताया, ‘‘यह सफलता तो है लेकिन चांग ई-3 को तापमान आंकड़े के हिसाब से डिजाइन किया गया था. ’’ झांग ने कहा, ‘‘चंद्रमा के तापमान के बारे में अपने आंकड़े के बगैर हम नहीं जान पाते कि चंद्रमा पर रातें वास्तव में कितनी सर्द हो सकती है. ’’ ‘चांग ई-4’ चंद्रमा पर दिन और रात के तापमान के बीच के अंतर को मापेगा, जिससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह की प्रकृति के आकलन में मदद मिलेगी.
इनपुट भाषा से भी