अब इस ग्रह के रहस्य से पर्दा उठाएगा ISRO, बस इतने महीनों का इंतजार
Venus Mission: शुक्र ग्रह के बारे में कहा जाता है कि अगर आप एक रहस्य को समझ लेते हैं तो दूसरे रहस्य को समझने की चुनौती सामने आ जाती है.उन सभी रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए रहस्य इसरो जोरशोर से तैयारी में जुटा हुआ है.
ISRO Venus Mission: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करा भारत इतिहास रच चुका है और सूर्य के अध्ययन के लिए निकला आदित्य एल 1 मिशन(aditya l 1 mission) कामयाबी के साथ अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा है. इन सबके बीच इसरो के वैज्ञानिक एक और महत्वपूर्ण मिशन में जुटे हैं जिस शुक्र मिशन के तौर पर जाना जा रहा है. इस मिशन को दिसंबर 2024 में लांच किए जाने की संभावना है.
इसरो की तैयारी
शुक्र मिशन या वीनस मिशन से पहले इसरो के वैज्ञानि एक्सपीओसेट या एक्स रे पोलैरिमीटर सैटेलाइट पर काम कर रहे हैं जिसे इसी साल दिसंबर में लांच किया जा सकता है इसके जरिए चमकीले पल्सर के बारे में जानकारी मिल सकेगी. इसरो के निदेशक एस सोमनाथ ने भी कहा था कि शुक्र मिशन(venus mission) से पहले हम इस पर काम करेंगे ताकि उसमें किसी तरह की बाधा ना आए.दिसंबर 2024 के चयन के पीछे खास मकसद भी है, उस दौरान धरती और शुर्क दोनों एक सीधी रेखा में होंगे वैसी सूरत में वीनस मिशन के लिए थर्स्ट की कम जरूरत होगी, अगर 2024(venus mission launch date isro) में किसी तरह की अड़चन आती है तो मिशन के 2031 का साल बेहतर रहेगा.
शुक्र के इतने रहस्य
इसरो के निदेशक एस सोमनाथ शुक्र के बारे में कहते हैं कि यह दिलचस्प ग्रह है. इसका अपना वातावरण है जो बहुत डेंस यानी घना है, अगर बात वायुमंडलीय दबाव की करें तो यह धरती की तुलना में 100 गुना ज्यादा है, यह एसिड से भरा हुआ है आप शुक्र की सतह पर नहीं जा सकते. यह कठोर है या नरम कुछ भी साफ नहीं पता. क्या पृथ्वी, शुक्र बन सकती है उसके बारे में भी नहीं पता. हो सकता है कि हजारों साल बाद पृथ्वी की विशेषताएं बदल जाएं. अगर आप धरती के बारे में जानना चाहेंगे तो कुछ चीजें हैरान करने वाली हैं मसलन करोड़ों साल पहले धरती रहने के लिए योग्य जगह नहीं थी.
बता दें कि शुक्र, सूर्य के करीब और पृथ्वी( earth) का पड़ोसी ग्रह है इसे धरती का जुड़वा भी कहते हैं दरअसल दोनों के घनत्व और आकार में समानता है. अगर बात करें दूसरे देश के मिशन की तो यूरोपीय अंतरिक्ष का वीनस एक्सप्रेस 2006 से 2016, जापान अकात्सुकी वीनस क्लाइमेट ऑर्बिटर और नासा का पार्कर सोलर प्रोब वीनस के रहस्य को समझने की कोशिश कर चुके हैं.