ISRO Spadex Mission: अंतरिक्ष में नए-नए इतिहास रचने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने अपने लिए और लक्ष्य को निर्धारित कर लिया है. इसरो दिसंबर में एक ऐतिहासिक मिशन की तैयारी कर रहा है. इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में बताया कि इसरो अपने विश्वसनीय ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी के जरिए 'स्पैडेक्स' नामक 'स्पेस डॉकिंग' तकनीक का प्रदर्शन करेगा. यह मिशन अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की नई क्षमताओं को दिखाने वाला साबित होगा.


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क्या है 'स्पेस डॉकिंग' तकनीक?
असल में स्पेस डॉकिंग एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसके जरिए अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ा जा सकता है. इस तकनीक की मदद से अंतरिक्ष यात्री एक यान से दूसरे यान में जा सकते हैं. इसका महत्व तब और बढ़ जाता है जब अंतरिक्ष स्टेशन या मानवयुक्त मिशन की बात हो. इस तकनीक से भारत को भविष्य में अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और चंद्रयान-4 परियोजना में मदद मिलेगी.


स्पैडेक्स मिशन की तैयारी
एस. सोमनाथ ने कहा कि इस मिशन के लिए रॉकेट तैयार हो रहा है. बेंगलुरु स्थित इसरो के वैज्ञानिकों ने इस महीने के अंत तक इसके प्रक्षेपण की उम्मीद जताई है. उन्होंने बताया कि इसरो दिसंबर में पीएसएलवी-सी60 मिशन को लॉन्च करेगा, जो स्पैडेक्स का प्रदर्शन करेगा. फिलहाल, मिशन से जुड़े अंतिम चरण के कार्य पूरे किए जा रहे हैं.


प्रोबा-3 मिशन की सफलता
बृहस्पतिवार को इसरो ने पीएसएलवी-सी59 के जरिए 'प्रोबा-3' मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह मिशन सूर्य और उसके ग्रहों के अध्ययन के लिए था. इसरो ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के दो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया. इस उपलब्धि के लिए एस. सोमनाथ ने न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और ईएसए के वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया.


भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में नया अध्याय
स्पैडेक्स मिशन इसरो के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है. स्पेस डॉकिंग तकनीक न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भविष्य के मिशनों के लिए रास्ते भी खोलेगी. अंतरिक्ष क्षेत्र में यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. एजेंसी इनपुट