Science News: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) को दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था. इसकी पहली तस्वीर 11 जुलाई, 2022 को जारी की गई. तब से अब तक, लगभग तीन साल में इसने ब्रह्मांड के कई रहस्यों से पर्दा उठाने में वैज्ञानिकों की मदद की है. यह ब्रह्मांड में बेहद दूर तक देख सकता है. JWST की इसी क्षमता का इस्तेमाल करते हुए, एस्ट्रोनॉमर्स ने 13 बिलियन साल पहले झांककर देखा है. उन्होंने प्रारंभिक ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल से चलने वाले ऐसे क्वासर का पता लगाया है, जो अकेले हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुपरमैसिव ब्लैक होल और क्वासर क्या होते हैं?


आगे की कहानी जानने से पहले यह जान लीजिए कि सुपरमैसिव ब्लैक होल और क्वासर आखिर क्या चीज हैं. सुपरमैसिव ब्लैक होल, ब्रह्मांड में पाए जाने वाले सबसे बड़े ब्लैक होल हैं. सूर्य से एक लाख गुना या उससे अधिक द्रव्यमान वाले ब्लैक होल, सुपरमैसिव ब्लैक होल कहलाते हैं. माना जाता है कि सभी बड़ी आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल होते हैं.


दूसरी तरफ क्वासर, ब्रह्मांड की सबसे चमकदार वस्तुओं में से हैं. ये आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं और सुपरमैसिव ब्लैक होल से चलते हैं. जब गैस और धूल बेहद तेज रफ्तार से सुपरमैसिव ब्लैक होल में गिरती है, तो क्वासर बनते हैं.


यह भी पढ़ें: 9.43 KM प्रति सेकंड! धरती के पास आ रहा 70 मंजिला इमारत जितना बड़ा एस्टेरॉयड, कितना खतरा?


जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने क्या खोजा?


जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने जो कुछ देखा, वह वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है. प्रारंभिक ब्रह्मांड में अलग-थलग पड़े सुपरमैसिव ब्लैक होल आखिर कैसे हो सकते हैं? क्योंकि ब्लैक होल को सुपरमैसिव स्थिति तक पहुंचने के लिए पर्याप्त द्रव्यमान इकट्ठा करने में काफी समय लगना चाहिए, वैज्ञानिक अनुमानों के हिसाब से करीब एक बिलियन साल.


JWST ने बिग बैंग के कुछ सौ मिलियन साल बाद ही सुपरमैसिव ब्लैक होल से चलने वाले क्वासर खोजे हैं. यह खोज इस पहेली को और उलझा देती है कि जब ब्रह्मांड एक अरब साल से भी कम पुराना था, तब कुछ ब्लैक होल लाखों या अरबों सूर्यों के बराबर द्रव्यमान तक कैसे बढ़ गए?


आखिर इतने बड़े कैसे हो गए ये क्वासर?


ये सवाल वैज्ञानिकों की उस टीम ने उठाया है, जिसने JWST की मदद से ज्ञात पांच क्वासरों पर स्टडी की. इनका निर्माण उस समय हुआ था जब ब्रह्मांड 600 से 700 मिलियन वर्ष पुराना था. टीम ने पाया कि इन क्वासर के चारों तरफ का क्षेत्र काफी अलग था. कुछ के आसपास का इलाका बेहद घटना था, जैसा वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं. हालांकि, कुछ क्वासर एकदम अलग-थलग पड़े थे और उनके आस-पास खुद को बड़ा करने के लिए कोई पदार्थ नहीं था.


न्यूटन के नियम तो पढ़े ही होंगे? 300 साल से गलत समझ रही थी दुनिया, अब पता चला असली मतलब


मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में फिजिक्स की असिस्टेंट प्रोफेसर अन्ना-क्रिस्टीना एइलर्स ने एक बयान में कहा, 'यह समझाना मुश्किल है कि ये क्वासर इतने बड़े कैसे हो गए, जबकि ऐसा लगता है कि उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था.' एइलर्स और उनकी टीम के नतीजे 17 अक्टूबर को The Astrophysical Journal में छपे हैं.


विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!