Science News: करीब दो साल पहले, सोनार तस्वीरों ने मिशिगन झील के तल पर अजीबोगरीब घेरे दिखाए थे. तब वैज्ञानिक उन्हें समझ नहीं पाए थे. एक एक सर्वे से पता चला है कि ये आकृतियां बड़े-बड़े छेद हैं. हालांकि, रिसर्चर्स का कहना है कि अभी भी कई रहस्यों को सुलझाना बाकी है. लेक मिशिगन क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी झील है, जो पूरी तरह से एक ही देश में स्थित है.


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इन छेदों की खोज सबसे पहले 2022 में की गई थी. तब रिसर्चर्स विस्कॉन्सिन शिपरेक कोस्ट नेशनल मरीन सैंक्चुअरी के अंदर झील के तल का नक्शा बनाने के मिशन पर थे. यह सैंक्चुअरी मिशिगन झील का एक संरक्षित क्षेत्र है, जिसमें 36 ज्ञात जहाजों के अवशेष हैं. नक्शे पर अजीब से गोले देखकर वैज्ञानिक हैरान रह गए थे.


लेक मिशिगन: कितने गहरे और बड़े हैं ये छेद


मिशिगन झील के इस हिस्से की मैपिंग करने वाली सैंक्चुअरी के सुपरिटेंडेंट और मैरीटाइम आर्कियोलॉजिस्ट, रस ग्रीन ने बताया कि ये छेद गहरे पानी (500 फीट या 150 मीटर) में मौजूद हैं. पुराने जहाजों का मलबा ढूंढने वाले ब्रेंडन बैलोद ने भी इन छेदों को देखा. बैलोद ने लाइव साइंस से बातचीत में कहा कि उनकी नजर में ये साफ तौर पर गड्ढे या क्रेटर थे, जिनकी गहराई 20 से 40 फीट (6 से 12 मीटर) के बीच थी. उन्होंने कहा, 'हमारे सर्च ग्रिड में ऐसे दर्जनों गड्ढे थे. ज्यादातर 500 से 1,000 फीट (150 से 300 मीटर)] व्यास के और अनियमित आकार के थे.'


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बैलोद, ग्रीन और उनके साथियों ने नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) से संपर्क किया. NOAA की ग्रेट लेक्स एनवायर्नमेंटल रिसर्च लैबोरेटरी (GLER) ने एक साझा सर्वे टीम भेजी. 21 अगस्त को एक रिमोट व्हीकल की मदद से पुष्टि  हुई कि ये विशालकाय, प्राकृतिक क्रेटर हैं. वैज्ञानिकों को ऐसे कोई 40 क्रेटर मिले हैं, लेकिन और भी हो सकते हैं.


ये रहस्यमय गड्ढे आखिर क्या हैं?


रिसर्चर्स ने पहले भी मिशिगन और कनाडा की सीमा पर स्थित हूरोन झील के तल पर इसी तरह के गड्ढे खोजे थे. वे गड्ढे सिंकहोल निकले यानी वैसी गुफाएं हैं जो पानी के नीचे और जमीन पर तब बनती हैं जब भूजल नीचे से बेडरॉक को घोलता है, जिससे सतह की परत ढह जाती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मिशिगन झील आंशिक रूप से चूना पत्थर पर स्थित है, जो घुलने के लिए जाना जाता है, इसलिए यह संभावना है कि मिशिगन झील के तल पर गड्ढे भी सिंकहोल हों. हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए और रिसर्च की जरूरत होगी.


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