Science News in Hindi: पृथ्‍वी से परे जीवन की संभावना मानव को सदियों से रोमांचित करती आई है. जैसे-जैसे तकनीक ने तरक्की की, ब्रह्मांड में अन्य जगह जीवन की खोज तेज होती गई. आज हम अत्याधुनिक टेलीस्कोप की मदद से बेहद दूर स्थित पिंडों को देख सकते हैं, मगर अभी तक कहीं भी जीवन के सबूत नहीं मिले हैं. हालांकि, एक नई रिसर्च इशारा करती है कि शायद मंगल ग्रह पर जीवन मौजूद हो सकता है. यह रिसर्च अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी (JPL) से जुड़े रिसर्चर आदित्य खुल्लर ने सामने रखी है.


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नई रिसर्च के मुताबिक, मंगल के मध्य अक्षांश क्षेत्रों में धूल भरी बर्फ के नीचे प्रकाश संश्लेषण के लिए परिस्थितियां मौजूद हो सकती हैं. मंगल का मध्य अक्षांश, दोनों गोलार्धों में 30 डिग्री और 60 डिग्री अक्षांश के बीच के इलाके हैं. माना जाता है कि इन इलाकों में सतह के नीचे बहुत सारी पानी की बर्फ है, जो कई मीटर तक मोटी हो सकने वाली पत्थर की सामग्री के नीचे संरक्षित है.


मंगल पर प्रकाश संश्लेषण का मतलब


प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिससे पृथ्‍वी पर वानस्पतिक जीवन संभव हो पाता है. इसके जरिए पौधे, शैवाल और कुछ बैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश को कार्बन डाइऑक्साइड में और पानी को ऑक्सीजन और ग्लूकोज में बदल देते हैं. प्रकाश संश्लेषण ही पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन के अधिकांश भाग को पैदा करने के लिए जिम्मेदार है.


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खुल्लर ने अपनी रिसर्च में यह प्रस्ताव दिया है कि मंगल ग्रह पर बर्फ की पर्याप्त रूप से मोटी परत सूर्य के रेडिएशन के खिलाफ एक ढाल के रूप में काम कर सकती है. साथ ही साथ, यह प्रकाश संश्लेषण के लिए पर्याप्त प्रकाश की अनुमति देती है जिससे 'रहने योग्य क्षेत्र' का निर्माण होता है. खुल्लर के मुताबिक, अगर हमें ब्रह्मांड में कहीं जीवन मिल सकता है तो मंगल ग्रह की बर्फ शायद सबसे अधिक सुलभ स्थानों में से एक है.


रिसर्च साफ-साफ नहीं कहती कि मंगल पर जीवन है या कभी जीवन था, मगर यह जरूर बताती है कि कहां जीवन की खोज की जा सकती है.


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क्यों मंगल पर जीवन की है इतनी उम्मीद?


पृथ्‍वी की तरह मंगल भी सूर्य के 'हैबिटेबल जोन' में आता है. यह किसी तारे के नजदीक का वह इलाका होता है जहां तापमान इतना होता है कि पानी मौजूद रह सके. पृथ्‍वी का करीब 70% भाग पानी में डूबा है लेकिन मंगल सूखा पड़ा है. हालांकि, NASA के कई मिशन इस बात के सबूत दे चुके हैं कि लाल ग्रह पर कभी पानी मौजूद था. 


वैज्ञानिकों के अनुसार, मंगल ग्रह पर अरबों साल पहले तरल पानी खत्म हो गया था. ऐसा इसका चुंबकीय क्षेत्र ढहने और ग्रह के अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के संपर्क में आने की वजह से हुआ. मंगल ग्रह पर धरती से 30 प्रतिशत अधिक हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणें मौजूद हैं, क्योंकि वहां ओजोन परत जैसा सुरक्षा कवच नहीं है.


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