सूर्य से 100 गुना अधिक चमकीला! ब्रह्मांड में `मिलीनोवा` नाम के भयानक विस्फोट की एक्सीडेंटल खोज
Millinova Cosmic Explosion: वैज्ञानिकों ने एक नए प्रकार के ब्रह्मांडीय विस्फोटों का पता लगाया है जिन्हें `मिलीनोवा` कहा जा रहा है. ये विस्फोट सूर्य से 100 गुना अधिक चमक पैदा करते हैं.
Science News in Hindi: ब्रह्मांड में एकदम नई तरह के विस्फोटों का पता चला है. इन्हें 'मिलीनोवा' नाम दिया गया है. यह खोज संयोगवश हुई, जब एस्ट्रोनॉमर्स हमारी आकाशगंगा की सैटेलाइट आकाशगंगाओं- बड़े और छोटे मैगेलैनिक बादलों (Large Magellanic Cloud और Small Magellanic Cloud), के डेटा का एनालिसिस कर रहे थे. 'मिलीनोवा' में हाई एनर्जी वाला जो एक्स-रे रेडिएशन निकलता है, वह अन्य ज्ञात खगोलीय विस्फोटों से अलग है.
ब्रह्मांड में कब होते हैं 'मिलीनोवा' विस्फोट?
खगोलविदों ने ब्रह्मांड में मिलीनोवा के 28 उदाहरण खोजे हैं. पहला मिलीनोवा आठ साल पहले देखा गया था, लेकिन तब इसे पहचाना नहीं गया. यह घटना तब होती है जब एक मृत तारे, जिसे सफेद बौना (white dwarf) कहा जाता है, अपने साथी तारे से पदार्थ खींचता है. इस दौरान सफेद बौना तारे पर अत्यधिक गर्म गैस जमा होती है, जिससे हाई एनर्जी वाला जो एक्स-रे रेडिएशन पैदा होता है.
मिलीनोवा, सामान्य 'नोवा' और 'सुपरनोवा' विस्फोटों से अलग हैं. ये घटनाएं 10 से 20 गुना तक चमकदार होती हैं और कई बार दोहराई जा सकती हैं. इनकी तीव्रता क्लासिकल नोवा की तुलना में लगभग 1000 गुना कम होती है.
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OGLE-mNOVA-11 की स्टडी
2023 में एक खास मिलीनोवा, जिसे OGLE-mNOVA-11 नाम दिया गया, ने वैज्ञानिकों को इस घटना पर विस्तार से स्टडी करने का मौका दिया. इस विस्फोट में अत्यधिक गर्मी उत्पन्न हुई, जिसका तापमान 6,00,000 डिग्री सेल्सियस तक मापा गया. यह हमारे सूर्य के तापमान से 100 गुना अधिक है. वैज्ञानिकों ने इस घटना से जुड़े एक्स-रे विकिरण का पता लगाया, जो इस गैस के अत्यधिक गर्म होने के कारण उत्पन्न हुआ.
वैज्ञानिक मानते हैं कि मिलीनोवा एक सफेद बौने और एक 'उपद्वीपीय' तारे (subgiant star) के बीच इंटरएक्शन का नतीजा है. यह सफेद बौना अपने साथी तारे से पदार्थ खींचता है, जिससे एक प्रकार का विस्फोट होता है. इस प्रक्रिया में सफेद बौने का द्रव्यमान बढ़ सकता है, जिससे यह भविष्य में एक शक्तिशाली टाइप Ia सुपरनोवा में बदल सकता है.
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टाइप Ia सुपरनोवा खगोल विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ब्रह्मांडीय दूरी मापने के लिए 'मानक कैंडल' (standard candles) के रूप में उपयोग किए जाते हैं. अगर मिलीनोवा इन सुपरनोवा की चेतावनी साबित होते हैं, तो इससे खगोलीय घटनाओं को समझने में बड़ी मदद मिलेगी. नई खोज दिखाती है कि ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ कितनी कम है और कई घटनाओं के बारे में तो हम शायद अभी जानते तक नहीं.