NASA contract SpaceX: नासा ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को एक ऐसा साधन बनाने के लिए कहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) को धरती पर लाया जा सके. इसके लिए बकायदा 843 मिलियन डॉलर का ठेका भी दिया गया है. एलन मस्क की स्पेसएक्स को 'यूएस डिऑर्बिट व्हीकल' विकसित करने और वितरित करने के लिए चुना गया है जो अंतरिक्ष स्टेशन को डिऑर्बिट करने की क्षमता प्रदान करेगा.


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जानें पूरा मामला
नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन 2030 तक काम करना बंद कर देगा. इसके बाद इसे यूएस डीऑर्बिट वीइकल के जरिए पृथ्वी पर प्रशांत महासागर में क्रैश करने के लिए वापस लाया जाएगा. ऐसे में यूएस डीऑर्बिट वीइकल को बनाने का काम एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स को दिया गया है. नासा से मिली जानकारी के मुताबिक डीऑर्बिट वीइकल आईएसएस को खींचते हुए धरती पर लाएगा.


843 मिलियन डॉलर का ठेका 
नासा ने स्पेस एक्स को 843 मिलियन डॉलर का ठेका दिया गया है. ISS में अमेरिका, जापान, यूरोप, रूस और कनाडा का संयुक्त प्रयास है. नासा के केन बोवर्सॉक्स ने एक बयान में कहा, “इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए अमेरिकी डिऑर्बिट वाहन का चयन करने से नासा और उसके अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों को स्टेशन के संचालन के अंत में पृथ्वी की निचली कक्षा में सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से पहुंचने में मदद मिलेगी.


नासा का ये ट्वीट देखिए;-



अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का वजन
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का वजन 430,000 किलोग्राम पाउंड है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तीन चरणों में खत्म होगा. सबसे पहले ISS का तापमान मेंटेन करने वाले सोलर एरे और रेडिएटर्स डीटैच होंगे. इसके बाद अलग-अलग मॉड्यूल ISS के बैकबोन स्ट्रक्चर यानी ‘ट्रस’ से अलग हो जाएंगे. स्पेस एक्स भले ही डीऑर्बिट वीइकल को बना रही हो, लेकिन इस पर निगरानी नासा रखेगा. साथ ही इसपर मालिकाना अधिकार भी नासा के पास ही रहेगा. 


महासागर में गिराया जाएगा स्‍पेस स्‍टेशन 
नासा के इंजीनियरों का कहना है क‍ि स्‍पेस स्‍टेशन अभी काफी मजबूत है, लेकिन इसका कार्यकाल खत्‍म हो रहा है, इसल‍िए इसे धरती पर उतारना होगा. वैसे ये अपने आप भी ग‍िर सकता है, लेकिन अगर ये इतनी ऊंचाई से ग‍िरा तो धरती पर रहने वाले लोगों के ल‍िए खतरा होगा. इसल‍िए नासा ने इसे प्रशांत महासागर में ग‍िराने का फैसला ल‍िया है.


स्पेस स्टेशन किसका है?
अमेर‍िका और रूस अभी इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन का नेतृत्‍व कर रहे हैं. यूरोप, कनाडा और जापान उनके सहायक की भूमिका में हैं. स्‍पेस स्‍टेशन को ग‍िराने के ल‍िए जो पैसा खर्च होगा, वो भी ये पांच देश मिलकर देंगे. नासा को उम्मीद है कि जब तक आईएसएस. को आकाश से बाहर लाया जाएगा, तब तक अनेक निजी कम्पनियां वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशनों का प्रक्षेपण शुरू कर देंगी.


इससे पहले भी हुई हैं ऐसी घटनाएं
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पहले भी दो स्पेस स्टेशनों को डीऑर्बिट किया जा चुका है. इनके नाम Mir और Skylab थे. अमेरिका का पहला स्पेस स्टेशन स्काईलैब था, जो जुलाई 1979 में आप ही कक्षा से नीचे आते हुए वायुमंडल में क्रैश हो गया था. वहीं रूस का मीर स्पेस स्टेशन भी मार्च 2001 में डीऑर्बिट हुआ था.


ये भी वायुमंडल में क्रैश हो गया था. ऐसे में नासा के वैज्ञानिक उम्मीद लगा रहे हैं कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी वायुमंडल में जलकर भस्म हो जाएगा, लेकिन इसके कुछ बड़े टुकड़ों के बचे रहने की उम्मीद है जिसे वे प्रशांत महासागर में मौजूद पॉइंट नेमो में गिराने की सोच रहे हैं. पॉइंट नेमो को सैटेलाइट्स और स्पेसशिप की कब्रगाह कहा जाता है.