चींटियां भी करती हैं सर्जरी! इंसान के अलावा ऐसा करने वाला दूसरा प्राणी, नई स्टडी ने चौंकाया
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चींटियां भी करती हैं सर्जरी! इंसान के अलावा ऐसा करने वाला दूसरा प्राणी, नई स्टडी ने चौंकाया

Ants Doing Surgery: वैज्ञानिकों ने चींटियों की ऐसी प्रजाति का पता लगाया है जो साथियों के अंगों के घावों की पहचान करती हैं , फिर उन्हें साफ करके या काटकर उनका इलाज करती हैं.

चींटियां भी करती हैं सर्जरी! इंसान के अलावा ऐसा करने वाला दूसरा प्राणी, नई स्टडी ने चौंकाया

इंसान की तरह, चींटी भी अपने साथियों का इलाज करती है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कुछ चींटियां अपने साथियों के घावों को साफ करती हैं. जरूरत पड़ने पर अंगों को काट देती हैं, ठीक उसी तरह जैसे कोई डॉक्टर अपने मरीज के खराब अंग को निकाल देता है. यानी चींटियां, दुनिया में मनुष्यों के बाद ऐसा करने वाला दूसरा जानवर बन गई हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि फ्लोरिडा की चीटियां अपने साथियों की जिंदगी बचाने के लिए 'सर्जरी' करती हैं.

यह चौंकाने वाली स्टडी Current Biology जर्नल में 2 जुलाई को छपी है. वैज्ञानिकों ने 'डॉक्टर' चींटी की पहचान फ्लोरिडा बढ़ई चींटियों  (Camponotus floridanus) के रूप में की हैं. ये चींटियां अपने घोंसले के साथियों के अंगों में घावों की पहचान करती हैं. फिर उन्हें साफ कर देती हैं या अंग काट कर अलग कर देती हैं. इस स्टडी के मुख्‍य लेखक एरिक फ्रैंक हैं जो जर्मनी की वुर्जबर्ग यूनिवर्सिटी में बिहेवियरल इकोलॉजिस्ट हैं.

'अंग काटकर घाव सही करने वाला दूसरा जानवर'

फ्रैंक ने एक बयान में कहा, 'जब हम अंग काटने के व्यवहार की बात करते हैं, तो यह इकलौता मामला है जिसमें किसी दूसरे जानवर का उसकी प्रजाति के किसी अन्य सदस्य द्वारा बेहद व्यवस्थित ढंग से अंग काटा गया हो.'

2023 में वैज्ञानिकों की इसी टीम ने पता लगाया था कि अफ्रीकन चींटियों की एक प्रजाति Megaponera analis अपनी ग्रंथियों में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल पदार्थ से साथी चींटियों के घावों को ठीक करती हैं. फ्लोरिडा की चींटियों में ऐसी ग्रंथियां नहीं होतीं, इसलिए फ्रैंक की टीम जानना चाहती थी कि ये चींटियां अपनी कॉलोनी में घावों से कैसे निपटती हैं.

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जांघ में घाव हुआ तो पैर काट दिया!

रिसर्चर्स ने चींटियों के पैरों में दो प्रकार के घावों पर खास ध्यान दिया: फीमर (जांघ) पर घाव और टिबिया के निचले हिस्से पर घाव. अपने प्रयोगों में उन्होंने पाया कि चींटियों ने अपने घोंसले की साथियों में फीमर वाली चोट को पहले अपने मुंह से साफ किया, उसके बाद पैर को बार-बार काट कर शरीर से अलग कर दिया. चींटियों ने टिबिया के घावों को सिर्फ साफ करके छोड़ दिया.

ऐसी सर्जरी से मरीज चींटियों के जिंदा बचने की संभावना कई गुना बढ़ गई. अंग काटने से पहले, जिन चींटियों के बचने का 40% से भी कम चांस था, सर्जरी के बाद उनके जिंदा रहने की उम्मीद 90 से 95% के बीच पहुंच गई. वैज्ञानिकों का कहना है कि गति की सीमाओं के कारण चींटियां केवल जांघ की चोट होने पर अंग काटती हैं, न कि सभी पैरों की चोटों पर.

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रिसर्च टीम के अनुसार, चींटियों में घावों की पहचान करने और उनका इलाज करने की क्षमता जन्मजात होती है. वैज्ञानिकों को चींटियों के ऐसा उन्हें सीखने का कोई सबूत नहीं मिला.

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