नई दिल्ली: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) नित नई खोज कर लोगों को चकित करने का मौका नहीं छोड़ती है. हाल ही में नासा ने चांद पर अधिकतर मात्रा में पानी की खोज की है. नासा के वैज्ञानिकों ने 26 अक्टूबर को इस बात की पुष्टि की है कि चांद की सतह पर पहले के अनुमान के मुकाबले अधिक मात्रा में पानी मौजूद है. वैज्ञानिकों ने बताया कि चांद पर जहां पानी मौजूद है, वहां सूरज की रोशनी सीधे पहुंचती है. आने वाले समय में यह पानी इंसानों के काम आ सकता है. इस पानी का इस्तेमाल पीने और रॉकेट ईंधन के उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा.


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बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना
पहले हुए शोध में चांद पर लाखों टन बर्फ के संकेत मिल चुके हैं जो कि इसके ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से मौजूद है. नेचर एस्ट्रोनॉमी (Nature Astronomy) में पब्लिश नए अध्ययनों के मुताबिक, चांद पर पानी की मौजूदगी के स्तर को कहीं अधिक ऊपर पाया गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो के वैज्ञानिकों की टीम के सदस्य पॉल हाइन के मुताबिक, चांद पर 40 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना है.



सुरज की रोशनी की पुष्टि
उनके मुताबिक यह पहले के अनुमान से 20 फीसदी ज्यादा है. हालांकि इससे पहले भी पानी की सतह पर सूरज की रोशनी की पुष्टि नहीं की गई थी. मैरीलैंड में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर (Space Flight Centre) में फेलो केसी हॉनीबल के मुताबिक, अणु इतने दूर-दूर हैं कि वे न तो तरल और न ही ठोस रूप में मौजूद हैं. उन्होंने इस बात को भी स्पष्ट किया कि यह पानी का गड्ढा नहीं है.


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सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर
नासा के विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स (Astrophysics) विभाग के निदेशक पॉल हर्ट्ज ने बताया कि उनके पास पहले ही इस बात के संकेत थे कि H2O, जिसे हम पानी के रूप में जानते हैं, वह चंद्रमा की सतह पर सूर्य की ओर मौजूद हो सकता है. यह खोज चंद्रमा की सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है.


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इससे हमें आगे और भी खोज करने की प्रेरणा मिलती है. हर्ट्ज का कहना है कि दक्षिणी गोलार्ध में स्थित सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर तक पहुंचना मुमकिन है. वहां की सतह काफी सख्त हो सकती है. यह सतह इतनी सख्त हो सकती है कि ड्रिल और चक्के भी वहां खराब हो सकते हैं.


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