Nasa orion spacecraft: नासा के अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा से भरी उड़ान! रविवार को पहुंचेगा पृथ्वी पर; बनेगा अनोखा रिकॉर्ड
Science News: नासा का ओरियन अंतरिक्ष यान रविवार, 11 दिसंबर को पृथ्वी पर वापस लौटने वाला है. इस यान ने चंद्रमा की सतह से सिर्फ 128 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भरी है.
Nasa Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ओरियन अंतरिक्ष यान 11 दिसंबर को पृथ्वी पर लौटने वाला है. इस अंतरिक्ष यान ने सोमवार, 4 दिसंबर को चंद्रमा की सतह से लगभग 128 किलोमीटर ऊपर से उड़ान भरी है. बिना चालक दल वाला नासा का ओरियन अंतरिक्ष यान ने अपने निकटतम बिंदु से 130 किलोमीटर से कम की उड़ान भरी है. इस दौरान चंद्रमा के पास पहुंचने पर 30 मिनट तक संचार बाधित भी हुआ. नासा के मेगा मून रॉकेट ने 16 नवंबर को फ्लोरिडा से उड़ान भरी थी. इस अंतरिक्ष यान ने करीब साढ़े 25 दिनों तक यात्रा की. नासा 2025 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों (Passengers) को भेजने के लिए काम कर रहा है.
वायुमंडल में करेगा फिर से एंट्री
नासा की तरफ से बताया गया, ओरियन पृथ्वी की तरफ लौट रहा है. इस मिशन में हमनें महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. चंद्रमा की सतह से केवल 128 किलोमीटर की दूरी पर ओरियन ने उड़ान भरी है. चंद्र फ्लाईबाई ने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की तरफ भेजने में सक्षम बनाया है और इसे स्पलैशडाउन के लिए पृथ्वी की तरफ वापस भेज दिया है. उन्होंने बताया, जब ओरियन पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से एंट्री करेगा, तो यह पहले से कहीं ज्यादा गर्म और तेज होकर वापस आएगा. जब ओरियन नीचे आएगा तक इंजीनियरों और तकनीशियनों की एक टीम कैप्सूल पर पहुंच बनाने की कोशिश करेगी और इसे जहाज के पिछले हिस्से में ले जाने की तैयारी करेगी. जिसे वेल डेक कहा जाता है.
1970 का रिकॉर्ड किया पार
नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लैंडिंग डायरेक्टर मेलिसा जोन्स ने बताया, पिछले सप्ताह ही यूएसएस (UAS) पोर्टलैंड के साथ पूर्वाभ्यास पूरा किया था. अब आर्टेमिस-1 हमारा रिकवरी शिप होगा. इस मानवरहित ओरियन अंतरिक्ष यान ने 1970 में चालक दल के द्वारा अपोलो 13 के चंद्रमा पर उतरने के मिशन को भी पार कर लिया है.
पृथ्वी से लाखों किलोमीटर दूर पहुंचा
ये अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 4 लाख 32 हजार 210 किमी की दूरी पर है. आर्टेमिस-1 मिशन के दौरान पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर पहुंच चुका है. इससे पहले का रिकॉर्ड पृथ्वी से 4 लाख 171 किमी का था. जो अपोलो 13 मिशन के दौरान बना था.
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