वॉशिंगटन: मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के बारे में वैज्ञानिकों की नयी खोज सामने आयी है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि संभवत: मंगल पर सतह के नीचे ज्वालामुखीय गतिविधि हुई हो क्योंकि सतह के नीचे उष्मा के स्रोत के बगैर लाल ग्रह पर पानी की मौजूदगी संभव नहीं होगी. इससे पहले के अनुसंधान में यह सुझाव दिया गया था कि मंगल पर बर्फ से ढंके दक्षिण ध्रुव के नीचे पानी मौजूद है. एजीयू की पत्रिका ‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार बर्फ से ढंके ध्रुवीय क्षेत्र के नीचे तरल अवस्था में पानी की मौजूदगी के लिये सतह के नीचे उष्मा के स्रोत का होना जरूरी है.


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अमेरिका में एरिजोना विश्वविद्यालय (एजीयू) के अनुसंधानकर्ताओं ने सुझाया है कि हाल में निश्चित रूप से मैग्मा की गतिविधि (पिछले कुछ सैकड़ों हजार वर्षों में मैग्मा चैंबर का निर्माण होना) हुई हो, जिससे इतनी उष्मा का उत्सर्जन हुआ होगा जो सतह के नीचे डेढ़ किलोमीटर मोटी बर्फ की परत को पिघला कर पानी में परिवर्तित करने के लिये काफी होगी.


टीम ने यह भी कहा कि सतह के नीचे अगर हाल में कोई मैग्मा गतिविधि नहीं हुई तो ध्रुवीय सतह के नीचे पानी की मौजूदगी संभव नहीं है. मंगल के ध्रुवों पर बर्फ की विशाल दो परतें हैं और दोनों कुछ किलोमीटर मोटी हैं. पृथ्वी पर बर्फ की परत के नीचे पानी की मौजूदगी आम है.


पिछले साल एक अखबार में प्रकाशित लेख में वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि रेडार के अवलोकन से मिली सूचना के आधार पर मंगल के दक्षिणी ध्रुव में बर्फ की परत के नीचे पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं. अध्ययन में उन्होंने यह नहीं बताया था कि तरल अवस्था में पानी कहां से आया.


इनपुट भाषा से भी