Rabbits: खूबसूरती बरकरार रखने के लिए अपनी ही Potty खाता है खरगोश, जानिए इससे जुड़ी रोचक बातें
अपनी पॉटी खाना खरगोश (Vegetarian Rabbit Eats His Own Potty) के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी प्रक्रिया है. खरगोश एक ऐसा जीव है जिसका पाचन तंत्र बहुत विकसित नहीं होता. खरगोश शाकाहारी जीव है जो अधिकतर घास खाकर ही अपना जीवन बिताते हैं. ऐसे में उनके शरीर से बहुत से जरूरी न्यूट्रिएंट्स बिना पचे ही बाहर निकल जाते हैं इसीलिए खरगोश उसे फिर से खाकर अधिक से अधिक पोषक तत्व लेते हैं.
नई दिल्ली: जानवरों की कुछ आदतें बहुत विचित्र होती हैं. खरगोश (Rabbits) एक बेहद खूबसूरत जानवर है जो खुद को साफसुथरा भी रखता है. लेकिन क्या आप जानते हैं क्यूट सा दिखने वाला खरगोश (Vegetarian Rabbit Eats His Own Potty) अपनी ही पॉटी खाता है. हालांकि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है. आइए जानते हैं खरगोश ऐसा क्यों करता है
अपनी ही पॉटी खाता है खरगोश
अपनी पॉटी खाना खरगोश (Vegetarian Rabbit Eats His Own Potty) के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी प्रक्रिया है. खरगोश एक ऐसा जीव है जिसका पाचन तंत्र बहुत विकसित नहीं होता. खरगोश शाकाहारी जीव है जो अधिकतर घास खाकर ही अपना जीवन बिताते हैं. ऐसे में उनके शरीर से बहुत से जरूरी न्यूट्रिएंट्स बिना पचे ही बाहर निकल जाते हैं इसीलिए खरगोश उसे फिर से खाकर अधिक से अधिक पोषक तत्व लेते हैं.
इसी तरह से गाय और भैंस जैसे अधिकतर चौपाया जानवर अपने पचे हुए भोजन को मुंह में वापस लाकर उसे फिर से पचाते हैं.
खरगोश के पॉटी की किस्में
खरगोश की पॉटी दो किस्म की होती है. एक लिक्विड के रूप में और दूसरी दवा के टैबलेट जैसी. लिक्विड टाइप की पॉटी को सीकोट्रोप कहा जाता है. इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जो द्रव्य रूप से शरीर से बाहर निकल जाते है. खरगोश इसे दोबारा खा लेते हैं. फिर इसे पूरी तरह से पचा कर टैबलेट के रूप में पॉटी करते हैं.
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बेहद पौष्टिक है खरगोश की पॉटी
सीकोट्रोप यानी ये द्रव्य पॉटी, टैबलेट वाली पॉटी की तुलना में दोगुने पौष्टिक होते हैं. इनमें विटामिन के और विटामिन बी 12 बहुत अधिक मात्रा में होता है. अगर खरगोश द्रव्य पॉटी को नहीं खाएंगे तो उनके शरीर से अधिकतर पोषक तत्व बिना पचे ही निकल जाएंगे.
शाकाहारी जानवर है खरगोश
खरगोश शाकाहारी जानवर (Vegetarian Rabbit Eats His Own Potty) है जो सिर्फ घास, सब्जियां ही खाता है. इनके शरीर के लिए फाइबर बहुत जरूरी है. उनका पाचन तंत्र तेजी से काम करते हुए बहुत से भोजन को बिना पचाए ही बाहर निकाल देता है. इसीलिए आपने देखा होगा कि वो अक्सर द्रव्य पॉटी रात को ही करते हैं और उसी समय इसे खा भी लेते हैं. इसके बाद वो उसे पूरी तरह से पचाकर दोबारा बाहर निकलते हैं. इस टैबलेट के आकार की पॉटी को वो नहीं खाते हैं.
जुगाली जैसी प्रक्रिया
यह प्रक्रिया बड़े चौपाया जानवरों जैसे गाय, भैंस की जुगाली जैसी ही है. ये अपना भोजन खाने के बाद एक बाद फिर उसे अपने गले में लेकर आते हैं और पूरी तरह से पचाते हैं. यहां पर बैक्टीरिया द्वारा उनके भोजन के फाइबर को पचाया जाता है. इससे उन्हें अपने भोजन से अधिक से अधिक पोषक तत्व मिल पाते हैं.
और भी कई जीव हैं ऐसे
जानवरों की दुनिया में सिर्फ खरगोश ही ऐसा जीव नहीं है जो अपनी पॉटी खाता है. गिनी पिग, छोटे चूहों और ऐसे ही मिलते-जुलते शाकाहारी जानवरों में यह प्रवृत्ति पायी जाती है.
पर्यावरण चक्र में दूसरों की पॉटी खाने वाले जीव
वैसे दूसरों की पॉटी खाने वाले जीव भी हमारे पर्यावरण चक्र के लिए बहुत फायदेमंद हैं. छोटे बैक्टीरिया से लेकर सुअर जैसे बड़े जीव भी दूसरों की पॉटी खाकर वातावरण साफ रखने में मदद करते हैं.
ऐसे करते हैं अपनी भावनाओं का इजहार
खरगोश अपनी भावनाओं को अपने बड़े बड़े कान को घुमाकर जाहिर करते हैं. अगर उन्होंने कान पीछे की ओर घुमाया तो वो नाराज हैं लेकिन अगर उसने अपना चेहरा आपकी ओर घुमा लिया तो जानिए कि वो गुस्सा है.
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