लंदन: एक अध्ययन में सामने आया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) मशीन दूसरी मशीनों से सीखकर, नकलकर या पहचान के जरिये पूर्वाग्रह के लक्षण प्रदर्शित कर सकती है. ब्रिटेन की कार्डिफ यूनिवर्सिटी और अमेरिका के मेसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने पाया कि दूसरों के प्रति पूर्वाग्रह दिखाने के लिए उच्च स्तर की संज्ञानात्मक क्षमता की जरूरत नहीं है और इसे मशीनों द्वारा आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है. 


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भविष्य में मशीनें हो सकती हैं पूर्वाग्रह की धारणा से प्रेरित
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, ऐसा लगता है कि पूर्वाग्रह मानव विशिष्ट धारणा है जिसमें किसी खास व्यक्ति या समूह को लेकर कोई राय बनाने के लिए या रूढ़िवादी धारणा के लिए मानव संज्ञान की जरूरत होती है. कार्डिफ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रोजर व्हिटकर ने कहा, ‘‘यह संभव है कि पहचान या विभेद और दूसरों की नकल में सक्षम स्वायत्त मशीनें भविष्य में पूर्वाग्रह की धारणा को लेकर अतिसंवेदनशील हों, जो अभी हम इंसानी आबादी में देखते हैं.’’ 


 



 


कंप्यूटर आंकड़ों से सामने आया नतीजा
यद्यपि कुछ तरह के कंप्यूटर कलन में सार्वजनिक आंकड़ों और इंसानों द्वारा मिले आंकड़ों जैसे नस्लभेद और लिंगभेद, के आधार पर पूर्वाग्रह की बात प्रदर्शित हुई है. शोध से यह संभावना सामने आई है कि कृत्रिम बुद्धिमता अपने आप ही पूर्वाग्रही समूह विकसित कर सकती है. 


(इनपुट भाषा से)