Science News in Hindi: पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हमारे ग्रह के कोर में पैदा होता है और अंतरिक्ष में फैल जाता है. इससे जो क्षेत्र बनता है उसे मैग्नेटोस्फीयर कहते हैं. अगर यह चुंबकीय क्षेत्र न होता तो पृथ्वी पर हम जैसा जीवन पाते हैं, वह भी नहीं होता. यह चुंबकीय क्षेत्र ही हमारी धरती को सूर्य से लगातार निकलने वाले घातक कणों से बचाता है. इन कणों को समग्र रूप से सौर हवाएं कहा जाता है. अगर चुंबकीय क्षेत्र न हो तो किसी ग्रह का क्या हाल होता है, उसके लिए मंगल पर नजर डाल सकते हैं.


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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर चुंबकीय क्षेत्र का महत्व समझाता एक वीडियो शेयर किया गया है. यह अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का एक सिमुलेशन वीडियो है जो दिखाता है कि कैसे पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ग्रह को घातक सूर्य कणों से बचाता है. अनुमान के मुताबिक, हर सेकंड, 15 लाख टन सौर पदार्थ सूर्य से बाहर निकलता है. ये कण हजारों मील प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहे होते हैं.



पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र कैसे बनता है?


पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र जिस प्रक्रिया से बनता है, उसे जियोडायनमो प्रोसेस कहते हैं. पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से में होता है, जिसे बाहरी कोर के रूप में जाना जाता है. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, यहां धीमी गति से चलने वाले पिघले हुए लोहे से संवहन ऊर्जा को विद्युत और चुंबकीय ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है. चुंबकीय क्षेत्र तब विद्युत धाराओं को प्रेरित करता है जो बदले में अपना खुद का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जो एक पॉजिटिव फीडबैक लूप में और अधिक विद्युत धाराओं को प्रेरित करता है.


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धरती को कैसे बचाता है चुंबकीय क्षेत्र?


मैग्नेटोस्फीयर यानी पृथ्‍वी के चारों तरफ मौजूद चुंबकीय क्षेत्र का आभासी गोला हमें घातक सौर विकिरण से बचाता है. चुम्बकीय क्षेत्र के बिना, सौर हवा हमारे वायुमंडल को नष्ट कर देगी, जिससे हमारे ग्रह पर जीवनदायी वायु नष्ट हो जाएगी, जिसे हम सांस के रूप में लेते हैं. NASA के मुताबिक, मैग्नेटोस्फीयर हमें कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) घटनाओं के दौरान भारी मात्रा में निकलने वाले रेडिएशन से भी बचाता है. साथ ही साथ यह ब्रह्मांडीय किरणों को धरती पर बरसने से रोकता है.


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पृथ्वी सौरमंडल का इकलौता ग्रह नहीं है जिसके पास चुंबकीय क्षेत्र है. बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून सभी पृथ्वी की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र जाहिर करते हैं. मंगल और शुक्र का कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं है.


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