ISRO Analog Space Mission: भारत का पहला एनालॉग स्पेस मिशन लेह में शुरू हो गया है. इसरो यहां की चंद्रमा और मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों में भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी करेगा.
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Science News in Hindi: भारत अगले कुछ सालों के भीतर पहला मानव अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने वाला है. चंद्रमा और मंगल पर भी भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को भेजने की तैयारी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA की तरह, ISRO भी अब रियल-लाइफ सिमुलेशन का इस्तेमाल करेगा. लद्दाख के लेह में देश का पहला एनालॉग स्पेस मिशन शुरू हो चुका है.
भारत का पहला एनालॉग स्पेस मिशन
ISRO ने बीते शुक्रवार को X पर पोस्ट किया, 'लेह में भारत का पहला एनालॉग स्पेस मिशन शुरू! इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, AAKA स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आईआईटी बॉम्बे और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद द्वारा समर्थित यह मिशन पृथ्वी से परे बेस स्टेशन की चुनौतियों से निपटने के लिए एक अंतरग्रहीय आवास में जीवन का अनुकरण करेगा.'
India’s first analog space mission kicks off in Leh! A collaborative effort by Human Spaceflight Centre, ISRO, AAKA Space Studio, University of Ladakh, IIT Bombay, and supported by Ladakh Autonomous Hill Development Council, this mission will simulate life in an… pic.twitter.com/LoDTHzWNq8
— ISRO (@isro) November 1, 2024
एनालॉग स्पेस मिशन क्या होते हैं?
आम अंतरिक्ष मिशनों के उलट, एनालॉग स्पेस मिशन धरती पर ही पूरे किए जाते हैं. असल में ये वे फील्ड टेस्ट साइट्स होती हैं जहां की भौतिक स्थितियां अंतरिक्ष की दुर्गम परिस्थितियों से मेल खाती हैं. ऐसे कठोर वातावरण में, दूसरे ग्रहों के माहौल की ट्रेनिंग दी जाती है. आपको याद होगा कि हाल ही में अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स 'मार्स ड्यून अल्फा' नामक 3डी-प्रिंटेड आवास में 378 दिन बिताकर बाहर निकले थे. इसके भीतर रहना वैसा ही था, जैसे मंगल पर जीवन जीना.
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लद्दाख को क्यों चुना गया?
भारतीय वैज्ञानिकों ने इस तरह के मिशन के लिए लद्दाख को इसलिए चुना क्योंकि यह इलाका मंगल ग्रह और चंद्रमा से काफी मिलता-जुलता है. यहां की भौगोलिक विशेषताएं - शुष्क और ठंडी जलवायु, बंजर भूमि, उच्च ऊंचाई वाले इलाके और आबादी से दूरी - इसे वैज्ञानिक ट्रेनिंग के लिए मुफीद जगह बनाती हैं.
समुद्र तल से 3,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख में ऑक्सीजन का स्तर समुद्र तल के ऑक्सीजन स्तर का केवल 40% है. कम दबाव और कम ऑक्सीजन की स्थिति रिसर्चर्स को मंगल ग्रह जैसी परिस्थितियों में जीवन से जुड़े सिस्टमों का मूल्यांकन करने देती है.
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ISRO के एनालॉग स्पेस मिशन में क्या खास?
अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, महीने भर चलने वाला यह मिशन अक्टूबर मध्य से शुरू हुआ. इसमें हैब-1 नाम का एक कॉम्पैक्ट, इन्फ्लेटेबल आवास शामिल है. Hab-1 हाइड्रोपोनिक्स फार्म, रसोई और स्वच्छता सुविधाओं जैसी जरूरी चीजों से लैस है. ISRO के अनुसार, यह एक आत्मनिर्भर वातावरण प्रदान करता है.
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दुनियाभर में चल रहे ऐसे मिशन
दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां, प्राइवेट कंपनियां और कुछ रिसर्चर्स कई एनालॉग मिशनों को पूरा करने में जुटे हैं. इनमें से नासा के एनालॉग मिशन प्रोजेक्ट और एनालॉग एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग सेंटर प्रमुख हैं.