Antarctic Ice Drilling: वैज्ञानिकों की एक टीम ने अंटार्कटिका में करीब दो मील (3.2 किलोमीटर) गहराई तक ड्रिलिंग करके लगभग 12 लाख साल पुरानी बर्फ की कोर निकाली है.
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Science News in Hindi: अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने अंटार्कटिका के बर्फीले बिस्तर में लगभग दो मील गहराई तक ड्रिल करके अब तक की सबसे पुरानी बर्फ कोर में से एक को निकाला है. यह बर्फ कोर कम से कम 1.2 मिलियन साल पुरानी मानी जा रही है. यह खोज पृथ्वी के वातावरण और जलवायु इतिहास को समझने में मददगार हो सकती है, खासतौर पर 'आइस एज साइकिल्स' और जलवायु परिवर्तन में कार्बन की भूमिका को समझने में. इस खोज के जरिए वैज्ञानिक यह समझ पाएंगे कि अतीत में ग्रीनहाउस गैसों, रसायनों और धूल की मात्रा में क्या बदलाव हुए.
-35 डिग्री सेल्सियस तापमान में चली ड्रिलिंग
ड्रिलिंग का काम अंटार्कटिका के 'लिटिल डोम सी' नामक जगह पर किया गया, जो 'कॉनकॉर्डिया रिसर्च स्टेशन' के पास है. यहां का औसत तापमान माइनस-35°C रहता है. यह प्रक्रिया चार सालों तक चली, जिसमें हर साल अंटार्कटिक गर्मियों के दौरान 16 सदस्यों की टीम ने सावधानीपूर्वक काम किया. आखिरकार, इस जनवरी की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने बर्फ की सतह तक पहुंच बनाई.
शुरुआती आइसोटोप एनालिसिस ने पुष्टि की कि यह बर्फ कोर 1.2 मिलियन साल पुरानी है. पहले की खोजों में 800,000 साल पुरानी बर्फ कोर से यह पता चला था कि उस समय कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन का स्तर कभी भी औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर से ऊपर नहीं गया. लेकिन आज के समय में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर उस समय की तुलना में लगभग 50% अधिक है. यह साफ करता है कि मानव गतिविधियों ने ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को तेजी से बढ़ाया है.
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यह बर्फ कोर वैज्ञानिकों को यह जांचने में मदद करेगी कि प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन के दौरान और वर्तमान में मानव गतिविधियों के कारण वातावरण में क्या बदलाव आए हैं. इस जानकारी से वैज्ञानिक बेहतर भविष्यवाणी कर पाएंगे कि जलवायु परिवर्तन का हमारे ग्रह पर क्या प्रभाव पड़ेगा.