नई दिल्ली: धरती (Earth) को बने 4.5 अरब साल हो चुके हैं. लेकिन वैज्ञानिकों के सामने कई सवाल अब भी उलझे हैं जैसे यहां जीवन कैसे आया, हमारे ग्रह पर जीवन के अनुकूल परिस्थियां कैसे बनीं. हमारे ग्रह (Planet) और सौरमंडल (Solar System) के इतिहास (History) के बारे में पुरातत्व अवशेष जैसे स्रोत शायद ही कुछ हैं. ऐसे में सुदूर ब्रह्माण्ड (Universe) में नवोदित होते सौरमंडल से हमें काफी कुछ पता लग सकता है. नए सौरमंडल की खोज ने हमारे वैज्ञानिकों के लिए एक उम्मीद जगाई है.


क्या है नया सिस्टम TOI 451


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अमेरिका के डार्टमाउथ (Dartmouth) के साथ हुए अध्ययन के शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह नए ग्रहों का सिस्टम (Planet System) शोधकर्ताओं को नवजात ग्रहों (New Planets) के विकास में मददगार होगा. इस सिस्टम का नाम TOI 451 है. इसमें एक ही तारे (Star) का चक्कर लगाने वाले तीन ग्रह हैं. आपको बता दें कि इन ग्रहों का आकार पृथ्वी (Earth) और नेप्च्यून (Neptune) के बीच का है.


क्या कहते हैं वैज्ञानिक 


शोधकर्ताओं के अनुसार, नासा (NASA) के हबल टेलीस्कोप (Hubble Telescope) और उसके बाद आने वाला जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) का हर ग्रह (Planet) के वायुमंडल (Atmosphere) के अध्ययन में उपयोगी है. इससे ग्रहों के सिस्टम (System Of Planet) के विकास की जानकारी मिल सकती है. इतना ही नहीं इससे सौरमंडल (Solar System) के विकास की जानकारी भी मिल सकती है. डार्टमाउथ (Dartmouth) में भौतिकी और खगोलविज्ञान की एसिस्टेंट प्रोफेसर एलिजाबेथ न्यूटन (Assistant Professor Elizabeth Newton) ने कहा कि इस सिस्टम का सूर्य हमारे सूर्य के ही जैसा है, लेकिन ये युवा है. इसके अध्ययन से हम ग्रहों के निर्माण और विकास के बारे में जान सकते हैं.


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TESS के आंकड़ों से हुई ग्रहों की खोज


एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन के अनुसार, TOI 451 की खोज 2019 में हुई थी. वैज्ञानिकों ने नासा (NASA) के ट्रिंसिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) के आंकड़ों की समीक्षा की. सभी तीन ग्रह TESS के आंकड़ों के जरिए ही खोजे गए. इन खोजों के बाद फॉलोअप कार्य नासा के स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप (Spitzer space Telescope), पृथ्वी (Earth) पर स्थिति साउथ अफ्रीकन लार्ज टेलीस्कोप और अन्य स्रोतों के जरिए किया गया जिसमें 50 से अधिक शोधकर्ताओं ने भाग लिया.


वैज्ञानिक खुद को मान रहे भाग्यशाली 


इस शोध में शामिल वैज्ञानिक एंड्रयू मान (Andrew Mann) ने बताया कि इस तरह के युवा ग्रहों (Young Planets) की खोज के लिए TESS के आंकड़े लाजवाब हैं. उन्होंने बताया कि वे सभी वैज्ञानिक भाग्यशाली हैं कि वे ऐसे समय में काम कर रहे हैं जहां ऐसे सफल बाह्यग्रह अभियान (Exoplanet Mission) के आंकड़ों तक पहुंच मिल पा रही है. ये ग्रह अपने तारे का चक्कर दो से 16 दिन में लगा लेते हैं.


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युवा है ये सूरज 


इस सिस्टम के तारे (Star) का भार हमारे सौरमंडल (Solar system) के सूर्य (Sun) की तरह है लेकिन यह जवान है क्योंकि इसकी उम्र 12 करोड़ साल ही है. न्यूटन ने कहा कि यह तारा हमारे सूर्य की तुलना में टीन एजर ही है. यानी ये ग्रह अब भी बदल रहे हैं और विकसित हो रहे हैं. यह सिस्टम पाइसेस एरिडानस तारा प्रवाह (Stellar Stream) का हिस्सा है. यह युवा तारों की संघ है जो दक्षिणी गैलेक्टिक गोलार्द्ध में फैला है. यह तारा संघ और उसकी उम्र का TESS और ईएसए के गीगा यान के आंकड़ों के जरिए अलग अलग टीम ने पता लगाया था.


तारों के अवशेषों की धूल भरी डिस्क के प्रमाण


नासा (NASA) के अनुसार, सौरमंडल (Solar System) के बाहर चार हजार से ज्यादा ग्रह (Exoplanets) हैं. इनमें से ज्यादातर ग्रह पुराने हैं और इस सिस्टम के मुकाबले पृथ्वी (Earth) से बहुत दूर हैं. अभी तक इस तरह के केवल सात युवा बहु ग्रहीय सिस्टम (Multi planet system) पता किए गए हैं. एक ही सिस्टम में एक से ज्यादा ग्रह वैज्ञानिकों को ज्यादा जानकारी दे सकता है. इन ग्रहों के अलावा तारों के अवशेषों की धूल भरी डिस्क (Disk) के प्रमाण भी पाए हैं.


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