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नई दिल्ली: हमारा ब्रम्हांड (Universe) अभी कई रहस्यों को अपने भीतर समेटे हुए है. आपको बता दें कि ब्रह्माण्ड में लाखों प्रकाशवर्ष दूर की पिंडों की जानकारी हासिल करने वाले हमारे खगोलविद अब तक सौरमंडल (Solar System) के सभी पिंडों (Objects) से ही अंजान थे. हाल ही में खगोलविदों के एक समूह ने एक ऐसे पिंड (Planetary Object) की खोज की है जो हमारे सौरमंडल में सबसे दूर का पिंड है. इस छोटे ग्रह या प्लनेटॉइड (Planetoid) का नाम वैज्ञानिकों ने फारफाराउट (Farfarout) रखा है.
खगोलविदों की इस टीम में हवाई यूनिवर्सिटी (University of Hawaii), कारनेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस (Carnegie Institution For Science) और नोर्दर्न ऐरिजोना यूनिवर्सिटी (Northern Arizona University) के वैज्ञानिक शामिल थे. गौरतलब है कि ये वैज्ञानिक सालों से हमारे सौरमंडल के बाहर और प्लूटो के आगे के क्षेत्रों का पर्यवेक्षण कर रहे थे. उन्होंने 2018 में सौरमंडल के दूरस्थ छोटे ग्रह फारआउट की खोज भी की थी जो उस समय का सौरमंडल का सबसे दूर का पिंड का था.
आपको बता दें कि फारआउट का यह रिकॉर्ड अब फारफारआउट ने तोड़ दिया है. यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई ने एक बयान जारी कर बताया कि फारफाराउट साल 2018 में भी अवलोकित किया गया था. लेकिन उस समय कुछ भी स्पष्ट नहीं था. हालांकि शोधकर्ता केवल अभी उसकी कक्षा के बारे में ही बता सके हैं और अभी उसकी दूरी का आंकलन ही कर पाए हैं.
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सबसे दूर का ये पिंड सूर्य से केवल 123 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट की दूरी पर स्थित है. गौरतलब है कि एक एस्ट्रोनॉमिकल ईकाई पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी होती है. यह दूरी लगभग 1975 करोड़ किलोमीटर की दूरी होती है. सूर्य से प्लूटो केवल 34 एयू दूर स्थित है. इसका मतलब ये है कि ये पिंड, प्लूटो से भी चार गुना ज्यादा दूरी पर स्थित है.
फारफाराउट की खोज हवाई में मउनाकेया (Mauna Kea in Hawaii) पर स्थित 8 मीटर के सुबारू टेलीस्कोप (Subaru Telescope) से खोजा गया था. शोधकर्ताओं के अनुसार पहले इस छोटे ग्रह का अध्ययन किया जाएगा फिर उसके बाद ही उसे कोई आधिकारिक नाम दिया जा सकेगा. इसके लिए खगोलविदों को उसकी कक्षा का अच्छे से अध्ययन करना होगा जिसमें कुछ समय लग सकता है. इसमें अभी काफी अध्ययन बाकी है.
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अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस पिंड की कक्षा बहुत ही लंबी है. जब यह सूर्य से सबसे दूर होता है तब वह 175 एयू की दूरी पर होता है. रोचक बात ये है कि इसकी कक्षा नेप्च्यून (Neptune) की कक्षा के भीतर कर चली जाती है जब ये सूर्य के सबसे नजदीक होता है. यह 27 एयू की दूरी है.
शोधकर्ताओं के अनुसार, फारफाराउट सूर्य का एक चक्कर लगाने में एक हजार साल का समय लगाता है. शोधकर्ताओं के अनुसार, इस लंबे कक्षा काल की वजह से फारफाराउट आकाश में बहुत ही धीमा चलता दिखाई देता है. यही वजह है कि इसकी कक्षा को जानने में बहुत सालों का समय लगता है.
वैज्ञानिकों को लगता है कि यह पिंड बर्फ से भरपूर हो सकता है और बहुत ही छोटे आकार का हो सकता है. छोटे बौने ग्रहों में से एक यह ग्रह केवल 400 किलोमीटर चौड़ा हो सकता है.
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