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नई दिल्ली: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) अपने दूरगामी लक्ष्य मंगल (Mars) के लिए मानव अभियान को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय है. नासा फिलहाल अपने आर्टिमिस मिशन (Artemis Mission) की तैयारी में है. नासा के सामने मंगल (Mars) और उसके जैसे लंबे अंतरिक्ष अभियानों (Long Space Missions) के लिए एक बड़ी चुनौती एस्ट्रोनॉट (Astronaut) के लिए भोजन की व्यवस्था करना है. नासा ने इस समस्या के समाधान के लिए लोगों के सामने एक चैलेंज रखा है. नासा ने इसके लिए 5 लाख डॉलर (5 Million Dollars) यानी तकरीबन 3.63 करोड़ रुपये का पुरस्कार रखा है.
गौरतलब है कि पृथ्वी (Earth) से मंगल (Mars) की दूरी 11.4 करोड़ किलोमीटर है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station) में कई तरह के पौधे उगाए गए हैं जो लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भी उगाए जा सकते हैं और इस्तेमाल किए जा सकते हैं. लेकिन मंगल जैसे ग्रह के लिए यात्रा बहुत दूर की और लंबी होगी जहां सामान ले जाना यान के भार को बढ़ा देगा. ऐसे में इस बड़ी चुनौती का एकमात्र उपाय है, यात्रा के दौरान भोजन की उत्पादन क्षमता विकसित करना.
भोजन की इस चुनौती से उबरने के लिए नासा ने व्यवसाई, कॉलेज के छात्रों, शौकिया निवेशकों और अन्य लोगों के लिए एक चैलेंज रखा है. ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर (Johnson Space Center) पर एडवांस्ड फूड टेक्नोलॉजी (Advanced Food Technology) की प्रमुख वैज्ञानिक ग्रैस डगलस ने द जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन (The Journal of Nutrition by Grace Douglas) के लेख में लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए फूट तकनीकी की जरूरतों की रूपरेखा भी बताई.
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डगलस और उनके साथ के लेखकों के अनुसार, अंतरिक्ष में सबसे अहम मुद्दा जीवन कायम रखना होगा. मानव इतिहास में खोजकर्ताओं ने यह देखने लिए यात्राएं की हैं कि क्षितिज के आगे क्या है, लेकिन वास्तव में आहार और पोषण की नाकामी की वजह से वापस नहीं लौटे. मंगल (Mars) पर जाने के लिए दो साल का समय लग सकता है. इसके लिए पृथ्वी (Earth) से भोजन ले जाने मुफीद नहीं होगा.
दरअसल स्पेस में मुश्किल यह है कि पृथ्वी पर खाना बनाने की जिन प्रक्रियाओं पर हम निर्भर हैं उसके लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हैं. जैसे गुरुत्व, वायुमंडल, वायुमंडलीय दाब, और यहां तक कि कुछ सूक्ष्मजीवी भी. अंतरिक्ष यानों में इनकी जगह माइक्रोग्रैविटी, संसाधनों की कमी, कैबिन के दबाव में उतार चढ़ाव, अनियंत्रित विकिरण जैसे कारक भोजन तैयार करने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं.
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अब तक अंतरिक्ष में भोजन होता रहा है वह पहले से पैक किए हुए भोजन को गर्म करने या फिर उसमें पानी मिलाने से तैयार किया जाता था. जब पृथ्वी से आए ताजा उत्पाद उसमें मिलते हैं तो वह खाने लायक बन जाता है. लेकिन यह तरीका मंगल के लिए दो साल की यात्रा के लिए उपयोगी साबित नहीं होगा. डगलस और उनके साथी एक ऐसे समाधान की तलाश में है जिससे मंगल यात्रियों के लिए सुरक्षित, स्थायी, रुचिकर और विश्वसनीय भोजन मिल सके जो कम से कम साधनों, पर्यावरण बाधाओं, और कम कचड़ा पैदा करने वाला हो. साथ ही इसमें यात्रियों के सूक्ष्मपोषण की सभी जरूरतों की पूर्ति भी हो सके.
मंगल यात्रियों के मानसिक स्वास्थ्य को कायम कर रखना भी नासा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. ऐसे मिशन में तनाव, कार्य का बोझ, और एकांत से पैदा हुई समस्याओं से निपटना भी यात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. स्वादिष्ट खाना ही काफी नहीं होगा इसमें विविधता की भी जरूरत होगी.
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इस चुनौती से निपटने के लिए नासा अपने डीप स्पेस फूड चैलेंज (Deep Space Food Challenge) के जरिए क्राउडसोर्सिंग समाधान (Crowdsourcing Solution) तलाश रहा है. नासा ने इसके लिए 5 लाख डॉलर (5 Million Dollars) का पुरस्कार रखा है. डगलस का कहना है कि नासा के पास वैसे तो इस क्षेत्र में जरूरी जानकारी और क्षमता है, लेकिन नासा इन्नोवेशन चाहता है. अलग अलग क्षेत्रों के लोग इसमें बेहतरीन और सटीक समाधान सुझा सकते हैं.
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