दुनिया डूब जाएगी, कुछ नहीं बचेगा... समुद्रों के बढ़ते जलस्तर पर संयुक्त राष्ट्र का SOS अलर्ट
UN Warning On Climate Change: समुद्रों का जलस्तर बढ़ने से दुनिया को भारी खतरा पैदा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव ने चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द ही यह संकट ऐसे स्तर पर पहुंच जाएगा जहां से वापसी संभव नहीं होगी.
Climate Change News: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने दुनिया को एक और जलवायु चेतावनी (SOS) जारी की है. इसमें उन्होंने समुद्रों में तेजी से बढ़ रहे जलस्तर, खासकर प्रशांत क्षेत्र के अधिक असुरक्षित द्वीपीय देशों का उल्लेख किया है. उन्होंने कहा है 'हमारे समुद्रों को बचाओ.' उन्होंने कहा, 'समुद्र का बढ़ता जलस्तर पूरी तरह से मानव निर्मित संकट है. यह संकट जल्द ही अप्रत्याशित पैमाने पर पहुंच जाएगा, जब हमें सुरक्षित वापस ले जाने के लिए कुछ नहीं बचेगा.'
तेजी से बढ़ रहा समुद्र का जलस्तर
संयुक्त राष्ट्र और विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने सोमवार को समुद्र के बढ़ते जलस्तर पर रिपोर्ट जारी की. पृथ्वी का तापमान बढ़ने और ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र पर बढ़ते महासागरों, समुद्री अम्लीकरण और समुद्र की गर्म लहरों तथा अन्य जलवायु परिवर्तन प्रभावों पर भी प्रकाश डाला. गुतारेस ने समोआ और टोंगा का दौरा किया और मंगलवार को टोंगा की राजधानी से प्रशांत द्वीप समूह फोरम की बैठक में जलवायु परिवर्तन से संबंधित अपील की. फोरम के सदस्य देश जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित हैं. उन्होंने कहा, 'यह एक अजीब स्थिति है.'
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गुतारेस के कार्यालय से तैयार की गई रिपोर्ट में पाया गया कि टोंगा की राजधानी नुकु अलोफा के पास वर्ष 1990 से 2020 के बीच समुद्र का जलस्तर 21 सेंटीमीटर बढ़ा है, जो वैश्विक औसत 10 सेंटीमीटर से लगभग दोगुना है. समोआ के अपिया में समुद्र का जलस्तर 31 सेंटीमीटर बढ़ा है, जबकि फिजी के सुवा-बी में 29 सेंटीमीटर बढ़ा है.
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साफ हवा के लिए भी अपील कर चुका UN
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पिछले दिनों सभी देशों से वैश्विक स्तर पर हवा को साफ एवं स्वच्छ बनाने के लिए अधिक से अधिक निवेश की अपील की थी. उन्होंने कहा था, 'दुनिया की 99 फीसद आबादी प्रदूषित हवा में सांस ले रही है. जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर हर साल 80 लाख लोग अकाल मौत का शिकार होते हैं. इन मृतकों में सात लाख बच्चे ऐसे होते हैं जिनकी मौत पांच साल से कम उम्र में ही हो जाती है.' (एजेंसी इनपुट)