वर्ल्ड कप का बेताज बादशाह ऑस्ट्रेलिया
माना जा रहा था कि विश्व कप के फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच कांटे का मुकाबला होगा। अपना एक भी लीग मैच न हारने वाली न्यूजीलैंड इस बार विश्व कप जीतने के प्रबल दावेदारों में थी।
आलोक कुमार राव
माना जा रहा था कि विश्व कप के फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच कांटे का मुकाबला होगा। अपना एक भी लीग मैच न हारने वाली न्यूजीलैंड इस बार विश्व कप जीतने के प्रबल दावेदारों में थी। बल्लेबाज ब्रैडन मैक्कलम का विस्फोटक फॉर्म और एलियट की शानदार बल्लेबाजी को देखते हुए इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि न्यूजीलैंड इस बार विश्व कप जीतकर इतिहास रचेगा लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में न्यूजीलैंड को इतिहास बनाने से वंचित कर दिया। ऑस्ट्रेलिया ने पांचवी बार विश्वकप का खिताब जीतकर यह साबित कर दिया कि क्रिकेट का बेताज बादशाह वही है।
ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले न्यूजीलैंड की टीम कमजोर नहीं थी। बल्लेबाजी से लेकर गेंदबाजी दोनों विभाग में उसके पास ऐसे खिलाड़ी थे जो ऑस्ट्रेलिया को टक्कर दे सकते थे लेकिन फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने अपने प्रदर्शन से निराश किया। फाइनल जैसे अहम मुकाबले में जीडी एलियट और रॉस टेलर को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण को झेल नहीं सका। एलियट ने 82 गेंदों में 83 रन बनाए तो रॉस टेलर ने 72 गेंदों में 40 रनों की पारी खेली। इस अहम मुकाबले में न्यूजीलैंड के पांच खिलाड़ी अपना खाता भी नहीं खोल सके।
फाइनल जैसे महत्वपूर्ण मुकाबले में न्यूजीलैंड की टीम स्कोर बोर्ड पर एक सम्मानजनक स्कोर भी खड़ा करने में असफल रही। खिताबी मुकाबले में उसके सामने कोई कमजोर टीम नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम थी जिसके बल्लेबाजी क्रम में काफी गहराई है। मात्र 183 रन का लक्ष्य ऑस्ट्रेलिया के लिए कहीं से भी चुनौतीपूर्ण नहीं था। यह लक्ष्य इतना भी बड़ा नहीं था कि न्यूजीलैंड के गेंदबाज इसकी सुरक्षा कर पाते। ऑस्ट्रेलिया को टक्कर देने के लिए न्यूजीलैंड को 280 के आस-पास रन बनाने चाहिए थे। जीत के लिए बेहद आसान लक्ष्य (184 रन) को ऑस्ट्रेलिया ने 34वें ओवर में तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया।
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी न्यूजीलैंड को अपने कप्तान मैक्कलम से काफी उम्मीदें थीं क्योंकि मैक्कलम जबर्दस्त विस्फोटक फॉर्म में चल रहे थे। खासकर सेमीफाइनल मुकाबले में मैक्कलम ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विस्फोटक पारी खेली थी। मैक्कलम की यह शानदारी पारी न्यूजीलैंड की जीत का मजबूत आधार बनी थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कुछ इसी तरह की खेल की उम्मीद मैक्कलम से की जा रही थी लेकिन उन्होंने बेहद निराश किया और शून्य रन पर आउट हो गए। गुप्टिल और विलियम्सन भी अपनी टीम को शुरुआती बढ़त नहीं दिला सके। गुप्टिल 15 और विलियम्सन 12 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।
शुरुआती तीन विकेट गिरने के बाद न्यूजीलैंड की टीम दबाव में आ गई। हालांकि, इसके बाद बल्लेबाजी करने आए टेलर और एलियट ने अपनी टीम को संभालने की कोशिश की। एलियट और टेलर की पारी से ऐसा लगा कि न्यूजीलैंड की टीम एक सम्मानजनक स्कोर खड़ा करेगी लेकिन एलियट और फिर टेलर के आउट होते ही पूरी न्यजीलैंड टीम ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। मैक्कलम, एंडसन और रॉंची का शून्य पर आउट होना न्यूजीलैंड के लिए घातक रहा। कीवी टीम के ये तीनों अहम बल्लेबाज हैं जिन्हें रन बनाना चाहिए था। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण के सामने न्यूजीलैंड की टीम असहाय हो गई। खासकर फॉकनर ने एक ओवर में टेलर और एलियट का विकेट लेकर उनकी कमर तोड़ दी।
क्रिकेट प्रेमियों को फाइनल मैच में एक रोमांचक मुकाबले की उम्मीद थी लेकिन वे इससे वंचित रह गए। लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने अपने खेल से सबका दिल जीत लिया। पांचवीं बार विश्व कप अपने नाम कर उसने यह जता दिया कि क्रिकेट में अभी उसके टक्कर का कोई और नहीं है। क्रिकेट के अपने संक्रमण दौर से वह गुजर चुका है और क्रिकेट की नई उपलब्धियों को चूमने एवं चुनौतियों का सामना करने के लिए वह पूरी तरह तैयार हो चुका है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने अपने कप्तान माइकल क्लार्क को शानदार विदाई दी तो कप्तान ने भी अपनी टीम के लिए शानदार पारी खेली और सर्वाधिक 74 रन बनाए। क्रिकेट से संन्यास लेने वाले माइकल क्लार्क के लिए इससे अच्छी विदाई नहीं हो सकती थी।