ऋषि कपूर के गुजर जाने की खबर सबसे पहले अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट के जरिए शेयर की थी. उन्होंने लिखा ''He's GONE .. ! Rishi Kapoor.. gone.. just passed away.. I am destroyed ! हालांकि अमिताभ ने कुछ ही मिनटों में ये ट्वीट डिलीट भी कर दिया, उन्होंने ऐसा क्यों किया ये तो वही बेहतर जानते होंगे. लेकिन बहुत मुमकिन है कि अमिताभ को लगा हो कि इस दुखद समाचार पर परिवार की तरफ से किसी ऑफिशियल स्टेटमेंट के आने के बाद ही उन्हें कुछ बोलना चाहिए. अमिताभ की ये सतर्कता उनके और ऋषि कपूर के बीच का सबसे अहम अंतर था. 


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अमिताभ हिंदी सिनेमा के उन स्टार्स में से एक हैं जो हर मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं. जबकि ऋषि कपूर आखिरी सांस तक खुल्लम-खुल्ला जिए. अमिताभ हर कोशिश करते हैं विवादों से बचने की जबकि ऋषि कपूर को विवादों से कभी डर नहीं लगा. अमिताभ जिंदगी के कई हिस्सों पर पूछे जाने वाले सवालों पर चुप्पी साध जाते हैं. जबकि ऋषि कपूर की बेबाकी ही उन्हें खास बनाती थी. पर्दे पर अमिताभ बच्चन के गुस्से ने अगर सिनेप्रेमियों को दीवाना बनाया तो ऋषि कपूर ने सिल्वर स्क्रीन पर प्यार की बौछार की.  


ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन का रिश्ता खट्ठा-मीठा रहा. दोनों दोस्त बने लेकिन बाद में शुरुआती सालों में अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर दोस्त नहीं थे और ये बात ऋषि कपूर ने खुद अपनी किताब में मानी है. दरअसल ऋषि कपूर ने अपने करियर के महत्वपूर्ण साल उस दौर में गुजारे जब सिल्वर स्क्रीन पर अमिताभ बच्चन का 'एंग्री यंग मैन' अवतार गढ़ा जा रहा था. 1973 में प्रकाश मेहरा की 'ज़ंजीर' से आई अमिताभ बच्चन के नाम की आंधी उनके साथ के लगभग सभी एक्टर्स को उड़ाकर ले गई. लेकिन इस आंधी में भी ये ताकत नहीं थी कि हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े शोमैन राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर को यूं ही उड़ा ले जाए. 



इसमें कोई शक नहीं कि 'ज़ंजीर' के ज़रिए अमिताभ बच्चन ने जनता को अपने स्टारडम में पूरी तरह से जकड़ लिया था. लेकिन इसी साल ऋषि कपूर की 'बॉबी' भी रिलीज़ हुई 'मेरा नाम जोकर' के फ्लॉप होने से हुए आर्थिक नुकसान को भरने के लिए राज कपूर ने 'बॉबी' बनाई. लेकिन बजट की कमी की वजह से इस फिल्म में वो उस वक्त के सबसे बड़े सुपरस्टार राजेश खन्ना को नहीं कास्ट कर सकते थे. इसलिए उन्होंने डिंपल कपाड़िया और ऋषि कपूर को लेकर युवाओं के लिए एक लवस्टोरी बना डाली. 'बॉबी' में ऋषि कपूर का क्या चार्म था और डिंपल के साथ उनकी कैमेस्ट्री क्या कमाल थी ये बताने की यहां जरूरत नहीं.


अमिताभ बच्चन को यकीन था कि 1973 में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड उन्हें ही मिलेगा लेकिन ऋषि कपूर ने 30 हजार रुपए में ये अवॉर्ड खरीद लिया और बड़े मजे से ये बात सालों बाद अपनी किताब में कुबूली भी. उस समय अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर के संबंधों में थोड़ी तल्खी आ गई. ऋषि कपूर ने ये बात भी मानी कि पहले वो ‘कभी-कभी’ में इसलिए काम नहीं करना चाहते थे क्योंकि फिल्म में अमिताभ थे. यही नहीं, ऋषि कपूर को ये बात भी खल रही थी कि फिल्म में नीतू का रोल उनसे बेहतर था. हालांकि बाद में चाचा शशि कपूर के कहने पर ‘कभी-कभी’ में काम किया और ये फिल्म सुपरहिट रही. फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ से भी उनकी दोस्ती होने लगी. 


इसके बाद ऋषि कपूर ने अमिताभ के साथ ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘नसीब’, ’कुली’ जैसी कई फिल्में कीं. बावजूद इसके ऋषि कपूर को हमेशा अमिताभ से एक शिकायत रही. उनका मानना था कि 70 और 80 के दशक में हर फिल्ममेकर मल्टीस्टारर के नाम पर सिर्फ एक्शन फिल्में ही बनाना चाहता था. जाहिर है सारे एक्शन रोल उस एक्टर को ही मिलते थे जिसकी इमेज एक्शन हीरो वाली बन गई हो. अमिताभ बच्चन को हर मल्टी हीरो वाली एक्शन फिल्म में सबसे अच्छा रोल मिला. जबकि बाकी एक्टर्स को अमिताभ के मुकाबले थोड़े कमजोर किरदार करके ही संतोष करना पड़ा.



ऋषि कपूर को ये मानने में झिझक नहीं थी कि अमिताभ उस दौर के सबसे बड़े स्टार थे. वो बस ये मानने के लिए राजी नहीं थे कि उस दौर के बाकी एक्टर्स एक्टिंग में अमिताभ से कमजोर थे. ऋषि कपूर का मानना था कि अमिताभ की अभूतपूर्व सफलता में उनके को-एक्टर्स का भी अहम योगदान रहा लेकिन अमिताभ ने कभी अपने किसी इंटरव्यू या किताब में किसी को-एक्टर को क्रेडिट नहीं दिया. जिसका ऋषि कपूर को अफसोस था.


अपने दोस्त की इस शिकायत का शायद अमिताभ बच्चन को भी अंदाजा हो गया था. तभी तो जब उन्होंने ऋषि कपूर के साथ 27 साल बाद फिल्म 102 NOT OUT की तो मीडिया से बात करते हुए फिल्म के को-एक्टर्स का जिक्र किया. अमिताभ ने ये माना कि अगर 102 NOT OUT में उनके काम की तारीफ होती है तो वो उनके को-आर्टिस्ट्स की वजह से होगी. क्योंकि को-आर्टिस्ट की अच्छी या बुरी एक्टिंग ही किसी स्टार के रिएक्शन को अच्छा या बुरा बनाती है और कोई भी फिल्म हर किरदार के बेहतरीन काम से ही शानदार या बेकार बनती है. 



अमिताभ बच्चन ने ऋषि कपूर के साथ अपनी आखिरी फिल्म के दौरान उनके काम की खूब तारीफ की. हो सकता है ऋषि कपूर से अपने रिश्ते को लेकर अमिताभ भूल सुधार करना चाहते थे. देखा जाए तो 102 NOT OUT के बाद अमिताभ ने ऋषि कपूर से अपने रिश्ते की आखिरी सिलवट को भी मिटा दिया. तभी तो आज ऋषि कपूर को याद करते हुए अमिताभ का दिल कह रहा है ‘वक्त ने किया क्या हसीन सितम, हम रहे ना हम, तुम रहे ना तुम...’


(अदिति अवस्थी ZEE NEWS की एंटरटेनमेंट डेस्क की हेड हैं)


(डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखिका के निजी विचार हैं)