जब पूरी दुनिया एक वैश्विक संकट का सामना करती है तब दुनिया के नेता विभिन्‍न मंचों का इस्‍तेमाल करते हुए इस समस्‍या का हल ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं. वैश्विक मंच पर ​​किसी संकट को लेकर जवाबदेही भी तय की जाती है. लेकिन जी-20 सम्मेलन में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जो गलत है, सही बातें कहने की अनुमति उसे ही दे दी गई. चीन जो वैश्विक संकट का​ निर्यातक रहा है, उसे एक मंच दिया गया जिससे वो ये बता सके कि पूरी दुनिया को इस वक्त क्या करना चाहिए. 


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यह बहुत निराश करने वाला है कि दुनिया भर के सबसे शक्तिशाली नेता जी-20 सम्मेलन में इस संकट के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने में नाकाम रहे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यहां सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यू-टर्न लिया. ट्रंप वही व्यक्ति थे,​ जिन्होंने लगातार जोर देकर इसे चीनी वायरस कहा था. लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ मैत्रीपूर्ण लहजे में बात कर रहे हैं. उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेट नाइट कॉल भी की. ट्रंप के अनुसार, चीन ने वायरस को लेकर एक मजबूत समझ विकसित कर ली है.


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साफ है कि चीनी की आर्थिक ताकत दुनिया की राजनीतिक इच्छा को बंधक बना रही है. जी-20, चीनी शासन को जवाबदेह ठहराने का एक मौका था. लेकिन जी-20 सदस्यों ने विनम्रता से ये सलाह देने की ​भी हिम्मत नहीं दिखाई कि चीन को अपनी नीतियां बदलनी चाहिए, जिससे इस तरह के घातक वायरस न फैलें.


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चीन के साथ सख्ती से पेश न आने की कीमत, आने वाले समय में दुनिया चुकाएगी. करीब 3.3 मिलियन अमेरिकियों ने पहले ही बेरोजगारी को लेकर अपना क्लेम दायर कर दिया है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका में बेरोजगारी की दर अगले एक  महीने के भीतर 13 फीसदी तक पहुंच जाएगी. वहीं अगर कोरोना वायरस का ये संकट और गहराता है, तो जर्मनी में तीन मिलियन लोगों की नौकरियां जा सकती हैं. भारत के शहरों में रहने वाले प्रवासी मजदूर हजारों मील चलकर अपने गांव लौट रहे हैं. ये जल्द ही बड़े संकट में रूप में सामने आ सकता है. 


जी-20 के सदस्य देशों को इन आंकड़ों को देखना चाहिए. क्योंकि, ये वैश्विक जीडीपी के 85 फीसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं. वुहान कोरोना वायरस संकट स्‍वाभाविक रूप से अपने चरित्र में राजनीतिक है, ये चीन की विफलता को दिखाता है.


यह बहुत निराशाजनक बात है कि दुनिया भर के सबसे शक्तिशाली नेता जी-20 सम्मेलन में कोरोना वायरस संकट के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने में नाकाम रहे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो यहां सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यू-टर्न लिया.


(WION संपादकीय)