जैसे-जैसे गर्मियां सुर्खियों में आ रही हैं... वैसे-वैसे देश के अलग-अलग हिस्‍सों से कुछ ऐसी खबरें भी आ रही हैं, जो ना जाने कितने परिवारों का दिल तोड़ने वाली होती हैं. कहीं हम पढ़ते हैं कि परिवार का इकलौता बेटा/बेटी नदी में डूब गए, तो कहीं खबर आती है कि मना करने के बाद भी बच्‍चे नदी के खतरनाक किनारों पर तैरते हुए डूब गए. कुछ समय पहले मैं मनाली में था. कूल्‍लू से मनाली की ओर आगे बढ़ते ही एक लगभग नदी के पेट पर कब्‍जा किए एक रेस्‍तरां पर नजर पड़ी. नदी के आधे हिस्‍से पर बने होने से उसका नजारा कुछ ऐसा है कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.


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इसलिए वहां से गुजरने वाले सारे यात्री वहां रुकते ही हैं. रेस्‍तरां के कम से कम दो से चार कर्मचारी वहां बाहर खड़े हैं, जो हर यात्री को इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि यहां नदी में न उतरें. खतरा ज्‍यादा है, क्‍योंकि पानी का बहाव कभी भी तेज हो सकता है. बड़े-बड़े नोटिस बोर्ड प्रशासन ने वहां लगाए हुए हैं, 'खतरनाक' जोन के. 


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वहां हर मौसम में कुछ न कुछ अप्रिय घटना होती रहती है. इसके बाद भी सेल्‍फी प्रेमी समाज कहां मानने वाला था. मैं दूसरों की बात यहां करने से पहले कहना चाहूंगा कि हमारे काफि‍ले के सदस्‍य भी चेतावनी से नहीं डरे. नदी के बहाव को महसूस करने इस अदा से वहां पहुंच गए कि डरने से कुछ नहीं होता, यहां तो हम 'तूफानी' करने आए हैं, 'डर के आगे जीत है' टाइप वाली फीलिंग के साथ मौसम का मजा लेने से नहीं चूके. 


बाद में अगले दिन मनाली में जब हम वहां अपने मेजबान से बात कर रहे थे तो उन्‍होंने बताया कि कैसे उस जगह के थोड़ा आगे ही कुछ साल पहले ही उनके यहां ठहरी एक यात्री का भाई बह गया था. जो आज तक नहीं मिला. उनकी बात सुनते ही हमारे कारवां के साथी तुरंत कहने लगे कि अरे! कैसे हो गया, लोग तो पागल हो जाते हैं, नदी, पहाड़ देखते ही. मुझे लगा दूसरों की बात शुरू होते ही कैसे हमारा दिमाग पाला बदल कर दूसरी ओर चला जाता है.


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हम ऐसा करते समय भूल जाते हैं कि जिंदगी तो कई मौके देती ही है, लेकिन मौत के साथ यह बात लागू नहीं होती. ऐसी स्थितियों में कभी जहां आप प्रकति के नियम से खुद खेलने लगते हैं. युवा होने का अर्थ नियम तोड़ना नहीं है. अगर आप उन सामान्‍य चीजों को भी नहीं मानते जिनसे जीवन की डोर बंधी है तो इसकी कीमत प्रकृति उस आनंद के मुकाबले कहीं ज्‍यादा वसूलती है, जो कुछ पलों में आप खोजना चाहते हैं.


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यह केवल नदी, पहाड़ की बात नहीं है. हर वह जगह जहां आप आनंद की तलाश में जा रहे हैं, वहां अगर आप केवल सामान्‍य नियमों का पालन करें तो जिंदगी को अनेक ऐसी दुर्घटना से बचाया जा सकता है, जिसका दर्द अकेले हमें नहीं पूरे परिवार को ताउम्र सताता रहता है. सड़क पर होने वाले ज्‍यादातर हादसे इसी एक मिनट की उत्‍तेजना के कारण होते हैं, जिसके सफर के सारे लोग दो मिनट के तूफानी आनंद के नाम पर अनदेखा करते रहते हैं. अपने पर भरोसा होने का यह अर्थ नहीं है कि आप हमेशा खुद को जोखिम में डालते रहें. इससे ऐसा कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि इस जोखिम के कारण जीवन में' तूफान' आने की आशंका हमेशा बनी रहती है.


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(लेखक ज़ी न्यूज़ में डिजिटल एडिटर हैं)


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