कहते हैं मानव जन्म बड़ी मुश्किल से मिलता है. श्रेष्ठतम मानव शरीर का मिलना अच्छे कर्मो का ही फल है. विभिन्न योनियों में जन्मे जीव स्वेच्छा से जीवनयापन नहीं कर पाते किंतु मनुष्य अपनी सोच और कर्मो से कुछ भी कर सकता है. इस अमूल्य शरीर को पाकर इसे स्वस्थ रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति हमें योग के द्वारा ही प्राप्त हो सकती है.


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योग सिर्फ आज का ही विषय नहीं है, वरन् हर युग में, हर काल में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग साधना की जाती रही है. विभिन्न राजा व साधु-संतु भी योग के द्वारा ही असाध्य कार्यों को करने में सक्षम रहे हैं. योग करने से और ध्यान लगाने से वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी विचलित नहीं होते थे. आज की जीवनशैली में जब जिंदगी काफी तनाव भरी हो गई है. योग मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है. आज मनुष्य अनेक रोगों से ग्रसित हैं. असाध्य रोगों पर भी योग के द्वारा विजय पाई जा सकती है. योग हमारी दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से आज सभी देश आपस में एक सूत्र में जुड़ गए हैं और योग दिवस पर योग की महत्ता को सभी दिल से स्वीकार कर रहे हैं. हर देश में योग के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है, योग से होने वाले प्रभावों से सभी आज योग की तरफ अपने कदम बढ़ा रहे हैं, योग की अनिवार्यता को समझते हुए जगह-जगह योग की कक्षाएं चल रही हैं.


योग बड़ी सरल प्रक्रिया है. योग के लिये आयु की अनिवार्यता भी नहीं है. बच्चे युवा, बुजुर्ग और स्त्रियां सभी योग कर सकते हैं. सूर के पदों में कृष्ण के मित्र उद्धव तो गोपियों को योग का संदेश देने ब्रज ही पहुंच जाते हैं. यद्यपि गोपियां कहती भी हैं कि उद्धव जोग-जोग हम नाहीं. तथापि उद्धव कहते हैं कि योग साधना से वे परम पिता परमेश्वर को भी प्राप्त कर सकती हैं. निराकार ब्रहम को भी योग से पा सकते हैं तो अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग कितना महत्वपूर्ण है, इस सत्यता को हम नकार नहीं सकते.



आज विभिन्न विद्यालयों में योग की कक्षाएं चल रही हैं. योग शिक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं. जगह-जगह योग के शिविर लगाकर योग की महत्ता के बारे में बताया जा रहा है. य़द्यपि शुरु-शुरु में योग करने में कुछ परेशानियां होती भी हैं लेकिन बाद में इससे होने वाले फायदे से योग हमारे जीवन का अनिवार्य अंग बन जाता है. योग हमारी सुप्त नाड़ियों में रक्त का संचार करके हमारे अंदर स्फूर्ति पैदा करता है. योग करने से होने वाले बदलाव को हम खुद महसूस कर सकते हैं. हमारे शहर के एक डॉक्टर हैं जो मरीजों को देखते समय दवाई से ज्यादा योग के प्रयोग पर बल देते हैं. हर मरीज से कहते हैं कि योग कर लिया करो नहीं तो सारी उम्र दवाई खानी पड़ेगी. उनकी बातों का ऐसा प्रभाव भी है कि व्यक्ति सहज ही योग करने को तत्पर हो जाता है.


योग हमारे देश की परंपराओं से जुड़ा हमारे लिए एक अनमोल वरदान है जिसके निरंतर अभ्यास से हम शरीर, मन और मस्तिष्क को उर्जावान रख सकते हैं. योग हमारी नकारात्मक सोच को भी दूर करता है. 21 जून योग दिवस के रूप में हमारे सामने अपनी उपलब्धियों के साथ हर वर्ष आता रहेगा. व्यस्त या अनैच्छिक होते हुए भी योग दिवस पर हमें संकल्पबद्ध होना होगा. यदि हम अपना, अपने परिवार का व राष्ट का कल्याण चाहते हैं तो योग को हमें सहर्ष सवीकार करना होगा और अपनी दिनचर्या में इसे अनिवार्य रुप से शामिल करना होगा.


(रेखा गर्ग सामाजिक विषयों पर टिप्पणीकार हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)