जीवन स्त्रोत पानी हमारी जिन्दगी के लिए कितना जरुरी है, ये किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है. पानी नहीं तो हमारा अस्तित्व भी नहीं. पानी को व्यर्थ न बहने के लिए कितने ही प्रयास किए जा रहे हैं. पानी विधाता की तरफ से दिया गया एक अनमोल वरदान है,जो हमारी आवश्यकताएं पूरी करने हेतु सदियों से बह रहा है. आज धरती पर पानी इतना मूल्यवान हो गया है कि बंद बोतलों में ही सिमट गया है. कभी ऐसा भी समय था जब एक-दो कुएं ही पानी की प्यास बुझा देते थे, कुओं का पानी गन्दा होता चला गया, सूखता गया. पानी हैण्ड पम्पों से निकलने लगा, फिर वहां भी कम होता गया. टंकियों से आने लगा फिर बूंद-बूंद गिरने लगा.


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पानी की कमी होती रही, पानी बिकने को मजबूर हो गया. पानी की कमी हमें कहां तक ले जाएगी, ये आज का गम्भीर विषय है. हमें समय रहते ही सचेत होना होगा. पानी की कमी से हमें भविष्य में अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है.


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हर व्यक्ति को पानी की अनिवार्यता समझनी होगी, तभी पानी सुरक्षित और पर्याप्त रह पाएगा. कई अवसरों पर पानी की बर्बादी असहनीय हो जाती है. हमारे एक जानकार हैं, आए दिन गाड़ी धोने के लिए बड़ा-सा पाइप लगाकर पानी को बहाना शुरु कर देते हैं कई घण्टे तक गाड़ी धुलती रहती है. बहते पानी के साथ उनकी खुशी देखते ही बनती है, दिल रोता है उनको पानी बहाते देखकर याद आती है उन अध्यापक की जिनकी खबर अभी कुछ दिन पहले ही मैंने अखबार में पढ़ी थी. नत मस्तक हो गई थी. मैं जब मैंने पढ़ा कि भविष्य में पानी की कमी को देखते हुए एक अध्यापक ने हमेशा के लिए पानी छोड़ दिया है, वो पानी की कमी चाय, कॉफी पीकर ही पूरी करते हैं.


आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्होंने कई वर्षो से पानी नहीं पिया है. एक तरफ एक जीवन पानी के बिना जी रहा है. दूसरी तरफ गाड़ियां भी पानी में नहा रही हैं. अभी कुछ दिन पहले मैंने एक संस्था में पानी को व्यर्थ ही बहते देखा, पूछने पर जवाब मिला कि पानी गरम हो जाता है, इसलिए मोटर चलाए रहते हैं. सुनकर मन व्यथित हो गया,याद आ गया राजस्थान का एक किस्सा, जिसे मैने दूरदर्शन पर देखा था और जो एक सच्ची घटना भी थी. शुद्ध और पवित्र एक बाल्टी पानी के बदले में एक समर्थ व्यक्ति कितनी अस्मिताओं का सौदा करता था, कितनी बेबस, मजबूर जिन्दगियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था. कब समझ पाएंगे हम उन मजबूरियों को जिनसे हम अनजान है.


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कहीं व्यर्थ बहता पानी और कहीं बूंद-बूंद तरसती जिन्दगी, पानी के महत्व को क्या शब्दों में समझाया जा सकता है. एक दिन पानी नहीं मिले तो मन इसे व्यर्थ ना बहाने का संकल्प कर लेता है लेकिन दूसरे ही क्षण हम इसका महत्व भूल जाते हैं. पानी व्यर्थ करने कई तरीके हैं. कुछ गिलास में पानी लेकर एक ही घूट पीते हैं शेष फेंक देते हैं. बहुत से व्यक्ति नहाने में,कपड़े धोने में अन्य जरुरत के कामों में आवश्यकता से अधिक पानी का प्रयोग करते हैं. उन्हें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा. पानी का काम यूं तो बहने का ही है किन्तु जैसे सीमित साधनों में हम संभलकर चलते हैं, ऐसे ही पानी के बारे में भी सोचना होगा. पानी अमूल्य है,इसकी हर बूंद कीमती है इसका एहसास धरती पर रहने वाले हर प्राणी को करना होगा तभी इस सम्पदा की हम रक्षा कर पाएंगें.


(रेखा गर्ग सामाजिक विषयों पर टिप्पणीकार हैं)


(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)