भारत में ज्ञानशील समाज के विकास में बढ़ती ऑनलाइन शिक्षा की भूमिका
दुनियाभर में ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, रूस और चीन समेत तमाम देशों में शिक्षा के बाजार मेंऑनलाइन कॉलेज और पाठ्यक्रम की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है.
इन्टरनेट और नई मीडिया ने न केवल जीवनशैली, कारोबार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल बदलाव का बड़ा जरिया बनकर उभरा है. आज भारत दुनिया के विकसित देशों के साथ ऑनलाइन पाठ्यक्रम के मामले में तेजी कदमताल कर रहा है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका ऑनलाइन कॉलेज और पाठ्यक्रम का अगुआ है, जहां सैकड़ों की संख्या में ऑनलाइन कॉलेज और हजारों की संख्या में ऑनलाइन पाठ्यक्रम हैं. दुनियाभर में ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, रूस और चीन समेत तमाम देशों में शिक्षा के बाजार मेंऑनलाइन कॉलेज और पाठ्यक्रम की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है.
“ग्लोबल ई-लर्निंग मार्केट एनालिसिस एंड ट्रेंड्स – इंडस्ट्री फॉरकॉस्ट टू 2025” रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक वैश्विक ई-लर्निंग बाज़ार 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा, जो वर्ष 2016 में 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी कम था. भारत ऑनलाइन कॉलेज और पाठ्यक्रम के लिहाज से एशिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाज़ार बनता जा रहा है.
भारत के ऑनलाइन शिक्षा का बाज़ार अभी करीब 247 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसके 2021 तक बढ़कर करीब 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है. इसी तरह से 2016 तक ऑनलाइन शिक्षा हासिल करने वाले जहां करीब 16 लाख इन्टरनेट यूजर्स थे वहीं इनकी संख्या बढ़कर 2021 तक बढ़कर करीब एक करोड़ होने जाने का अनुमान किया जा रहा है.
यह साफ संकेत है कि दुनिया ही नहीं भारत भी ऑनलाइन शिक्षा की तेज रफ्तार गाड़ी पर सवार है, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है गुणवत्तापूर्ण, उपयोगी और कैरियर आधारित शिक्षा की ज़रूरतें, जिसे पारंपरिक कॉलेज,संस्थान और विश्वविद्यालय पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इसके साथ ही शिक्षा और जागरूकता बढ़ने से आज के युवाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है,जिससे वह ग्रेजुएशन के साथ ही नौकरी भी करने लगते हैं और बाद की प्रोफेशनल जरूरतों को पूरा करने में ऑनलाइन पाठ्यक्रम उन्हें बहुत अधिक मदद करते हैं. दरअसलऑनलाइन पाठ्यक्रम के जरिये आजकल के युवाओं को अपने ही देश के ही नहीं बल्कि विदेशों तक के उच्च गुणवत्ता के पाठ्यक्रम से जुडने का अवसर मिलता है और उन्हें इसका प्रमाणपत्र भी देता है.
"कोरसेरा" अमेरिका और दुनिया भर में अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ भागीदारी ऑनलाइन पाठ्यक्रम में विशेज्ञता प्रदान करता है. इसी तरह से लिंडा-डॉट-कॉम (लिंकडेन लर्निंग) वीडियो ट्यूटोरियल लाइब्रेरी है, जो विभिन्न विषयों पर 80,000 से अधिक वीडियो तक असीमित पहुंच प्रदान करता है. यूडेमी पर 800 से अधिक पाठ्यक्रम हैं, जिन पर पूर्व छात्रों की समीक्षा भी पढ़ी जा सकती है. उडासिटी (https://in.udacity.com/) तकनीकी पाठ्यक्रमों का एक सशक्त ऑनलाइन मंच है, जहां मासिक भुगतान के आधार पर पाठ्यक्रम ज्वाइन किया जा सकता है.
खान अकादमी एक गैर-लाभकारी ऑनलाइन मंच है जो अकादमिक विषयों पर केंद्रित गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र, मानविकी, वीडियो और कंप्यूटर आधारित शैक्षणिक व्याख्यान की पूरी तरह से असीमित पुस्तकालय प्रदान करती है.
इस तरह से ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यमों की एक बड़ी दुनिया बनती जा रही है. इसके अलावा इंजीनियरिंग, मेडिकल, सिविल, लॉ, कैट-मैट-नेट और जनसंचार समेत तमाम पाठ्यक्रमों के लिए ऑनलाइन कोचिंग का भी एक बहुत बड़ा बाज़ार खड़ा हो गया. इसके साथ ऑनलाइन टेस्ट सीरीज का भी एकबड़ा और समांतर बाज़ार है. इससे नौकरीपेशा समेत सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को बहुत ही अधिक लाभ हुआ है क्योंकि उन्हें जानकारी के साथ-साथ खुद का मूल्यांकन बस एक क्लिक पर मिलने लगा. लेकिन ऑनलाइन पाठ्यक्रम से जो सबसे बड़ा मकसद पूरा होने जा रहा है, वह है हर किसी तक उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और तकनीकी ज्ञान की पहुंच.
इस दिशा में वैश्विक स्तर पर वेब आधारित सेवा मैसिव ओपेन लर्निंग कोर्स फिल्म, रीडिंग और प्रॉबलम सेट के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा को सहभागी बनाने का बड़ा माध्यम बनकर उभरा है. करीब 2006 में शुरू हुई यह ऑनलाइन सुविधा, 2012 के बाद से दुनिया भर ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षा के एक बहुत बड़े गैप को भरने की दिशा में काम कर रही है क्योंकि विद्यार्थियों के लिए इसका उपयोग नि:शुल्क है. इसके साथ ही इस सुविधा को प्रसारित करने में विश्व बैंक विकासशील देशों को तकनीकी और आर्थिक मदद भी प्रदान कर रहा है.
हाल ही में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने मिलकर माइक्रोसॉफ़्ट के सहयोग एमओसीसीकी तर्ज पर एक देशीय मैसिव ओपेन लर्निंग कोर्स " स्वयं" का विकास किया है. इस के तहत 2000 पाठ्यक्रमों में 80000 घंटे के प्रशिक्षण की व्यवस्था है और स्कूल से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट, इंजीनियरिंग, लॉं, संचार और अन्य तमाम व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में शिक्षा प्रदान की जाती है. पहुँच, समानता और गुणवत्ता के ध्येय पर आधारित इस पद्धति का एक लक्ष्य डिजिटल डिवाइड को कम करना है.
ऐसा अनुमान है कि इस ऑनलाइन शिक्षा के प्रयासों के चलते पोस्ट ग्रेजुएट में नामांकन की मौजूदा करीब 25% की दर 2020 तक बढ़कर 30% तक पहुँच जाएगी. निश्चित रूप से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों ने शिक्षा और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ ही जानकारी और ज्ञान का एक सशक्त माध्यम पैदा किया है, जो न केवल सस्थानों के दीवार को तोड़ने में कामयाब है बल्कि देश और भाषा के अवरोध को भी पार करने का काम किया है. इस राह पर चलकर आगे एक ज्ञानशील भारत की नई इबारत लिखी जा सकेगी.
(लेखक स्वतंत्र टिप्णीकार हैं)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)