पैसे की तंगी के कारण Carpenter बनने को मजबूर हुआ ये क्रिकेटर, AUS को दिला चुका है World Cup
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिन गेंदबाज जेवियर डोहर्टी (Xavier Doherty) ने 75 इंटरनेशनल मैचों में 72 विकेट अपने नाम किए हैं है. वो साल 2015 में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का भी हिस्सा थे. 38 साल के डोहर्टी ने 2017 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था.
नई दिल्ली: इनटरनेशल क्रिकेटर्स जब अपने करियर के टॉप मुकाम पर होते हैं तो उसकी झोली में दौतल की बरसात होती है, लेकिन रिटारमेंट के बाद उनकी जिंदगी पहले की तरह नहीं रहती. खिलाड़ियों को अपना गुजरा करने के लिए कई दूसरे काम करने होते हैं. कई प्लेयर्स संन्यास के बाद आर्थिक तंगी का शिकार होते हैं, ऐसा ही एक मामला सामने आया है.
मुश्किल हुई जिंदगी
ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के पूर्व स्पिनर जेवियर डोहर्टी (Xavier Doherty) ने साल 2017 में क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. रिटारमेंट के बाद वो बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. उन्हें अपना गुजारा करने के लिए कारपेंटर का काम करना पड़ रहा है.
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कारपेंटर बने डोहर्टी
ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (Australian Cricketers' Association) अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें जेवियर डोहर्टी (Xavier Doherty) कारपेंट्री का काम सीखते हुए नजर आ रहे हैं.
वर्ल्ड कप जीत चुके हैं
जेवियर डोहर्टी (Xavier Doherty) ने साल 2010 में इंटरनेशल क्रिकेट में डेब्यू किया था. साल 2015 में वो आईसीसी वर्ल्ड कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा थे, हालांकि फाइनल में उन्हें प्लेइंग XI में जगह नहीं मिल पाई थी.
'रिटारमेंट के बाद किए कई काम'
जेवियर डोहर्टी (Xavier Doherty) ने कहा कि कि जब उन्होंने क्रिकेट का अलविदा कहा था तब उन्होंने सोचा नहीं था कि वो आगे करने वाले हैं. शुरुआत के 12 महीने तक तो उन्हें जो भी काम मिला उन्होंने वही किया. इस कड़ी में उन्होंने तहत लैंडस्केपिंग,ऑफिस वर्क और कुछ क्रिकेट रिलेटेड काम भी किया.
'मिली आर्थिक मदद'
जेवियर डोहर्टी (Xavier Doherty) ने फिर कारपेंटर बनने का काम सीखा और उनकी तीन-चौथाई ट्रेनिंग भी पूरी हो चुकी है. डोहर्टी बोले, 'जब क्रिकेट पूरा हो जाता है तो आपको मालूम होता है कि अब पैसे कैसे आएंगे. दिमाग में बातें चलती हैं कि आगे क्या होगा. जिंदगी कैसी रहेगी. ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन की ट्रांजिशन मैनेजर कार्ला ने फोन पर मदद की. इसके साथ ही पढ़ाई-लिखाई के लिए भी पैसे मिले. इससे आर्थिक सहायता मिली और मेरा खर्चा भी कुछ कम हो गया.'