नई दिल्ली : टीम इंडिया के महान कप्तानों में शामिल सौरव गांगुली के खिलाफ बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) में ही अब बगावत के सुर उठने लगे हैं. हालात ये हो रहे हैं कि उनसे कैब अध्यक्ष पद छोड़ने की मांग भी की जा रही है. दरअसल विवाद जुड़ा हुआ है लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लेकर. इन सिफारिशों के तहत बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) के संयुक्त सचिव सुबीर गांगुली के ऊपर 'कूलिंग ऑफ' नियम के तहत कुर्सी जाने का खतरा मंडरा रहा है. अब सुबीर गांगुली ने इस मामले में बगावती तेवर दिखाते हुए कैब अध्यक्ष सौरव गांगुली को पत्र भेजा है.


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सुबीर गांगुली ने कैब अध्यक्ष सौरव गांगुली को पत्र भेजकर कहा कि अगर उन्हें ‘कूलिंग ऑफ’ पर जाने के लिये बाध्य किया जाता है, तो लोढ़ा समिति के अनुसार यही नियम उन पर भी भी लागू होता है. सुबीर आईपीएल संचालन परिषद के पूर्व सदस्य और कैब के अनुभवी रह चुके हैं. वह राज्य संघ में पूर्व कोषाध्यक्ष बिस्वरूप डे के साथ सौरव गांगुली के विरोधी ग्रुप का हिस्सा हैं.


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उन्होंने तीन पेज के इस पत्र में लिखा, अगर आप मुझे संयुक्त सचिव के पद पर जारी रखने के लिये मुझे अमान्य करार कते हो तो लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुसार आप भी जारी नहीं रह सकते. इसके अनुसार ‘कूलिंग ऑफ’ का तीन साल का समय आपके खिलाफ भी लागू होगा. आपको भी तुरंत प्रभाव से अपना पद छोड़ना होगा.’


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ऐेसे में अब देखना होगा कि कैब में दो अधिकारियों के बीच की टक्कर क्या रंग लेगी. हालांकि सौरव गांगुली के लिए इन मुश्किल हालात से निकलना इतना आसान भी नहीं होगा.


क्या है लोढ़ा समिति की सिफारिश
लोढ़ा समिति ने नियमों को साफ करते हुए कहा था कि बीसीसीआइ व उसके राज्य संघों के पदाधिकारियों को तीन साल पूरे होते ही कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना पड़ेगा. हालांकि अब भी लोढ़ा समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है.


रवि शास्त्री जताई थी चिंता
इस मामले में रवि शास्त्री ने कहा था कि इस नियम के कारण पूर्व क्रिकेटर बीसीसीआई प्रशासन में जुड़ने से बचेंगे.  इस प्रस्ताव के तहत दो बार प्रशासनिक पद पाने के लिए कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए. शास्त्री का कहना है कि राष्ट्रपति को भी 5 साल मिलते हैं. तीन साल का पीरियड बहुत कम है.