नई दिल्ली: जयदेव उनादकट अपने टेस्ट डेब्यू को शायद ही कभी भूल पाएं. सात साल पहले उन्होंने टीम इंडिया की टेस्ट टीम में प्रवेश किया था. एकदम फ्रैश चेहरा, नर्वस. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सैंचुरियन में उनके टेस्ट करियर का आगाज हुआ, लेकिन वह अपनी गेंदबाजी से प्रभावित नहीं कर पाये. इसके बावजूद वह लगातार आगे बढ़ते रहे. और रविवार को श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टी20 में वह गेंदबाजी के अपने चरम पर नजर आए. सौराष्ट्र के इस 26 वर्षीय तेज गेंदबाज ने मुंबई के वानखड़े स्टेडिम में दिखाया कि कैसे यह एक बेहतर गेंदबाज बन रहा है. क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मेट में उन्होंने 4 ओवर में 15 रन देकर दो विकेट झटके. 


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श्रीलंका के खिलाफ टी-20 सीरीज में जयदेव ने 11 ओवरों में 4 विकेट लिए. उनका इकोनॉमी रेट 4.88 का रहा, जो बेहतरीन माना जाता है. उनादकट ने लगातार तीसरे मैच में निरोशन डिकवेला (एक) को सस्ते में समेटकर भारत को अच्छी शुरुआत दिलाई और इसके बाद खतरनाक उपुल थरंगा (11) को भी पवेलियन भेजा. इन दोनों ने खराब शॉट खेलकर अपने विकेट गंवाए. इतना ही नहीं उनादकट सीरीज में सबसे कंजूस गेंदबाज साबित हुए. उन्होंने तीन मैचों में 4.88 की इकोनॉमी रेट से महज 44 रन दिए. कटक में पहले टी-20 मैच में उन्होंने 7 रन देकर 1 विकेट लिया था. इसके बाद दूसरे टी-20 में उन्होंने 22 रन देकर एक विकेट लिया था. वहीं मुंबई में हुए आखिरी टी-20 में उनादकट ने 15 रन देकर दो अहम विकेट चटकाए. 


इस दौरान खास बात ये रही कि उनादकट ने 3 मैचों में निरोशन डिकवेला का विकेट लिया. उनादकट को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए 'मैन ऑफ द मैच' और 'मैन ऑफ द सीरीज' के अवॉर्ड से नवाजा गया.



कटक टी-20 - जयदेव उनादकट ने लंबे समय बाद वापसी की है. उन्होंने अपने पहले ही ओवर में विकेट लेकर उनादकट ने अपनी वापसी को सही साबित किया. उनादकट ने गेंद की गति बदल कर निरोशन डिकवेला को बनाया. निरोशन डिकवेला को जयदेव उनादकट ने 13 रन पर राहुल के हाथों लपकवा दिया.


इंदौर टी-20 - जयदेव उनादकट ने 4.3 ओवर में निरोशन डिकवेला (25) को हार्दिक पंड्या के हाथों कैच कराते हुए श्रीलंका को पहला झटका दिया था. 


मुंबई टी-20 - पारी के दूसरे ओवर में तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट गेंदबाजी के लिए आए. उन्‍होंने इस ओवर में पांचवीं गेंद पर निरोशन डिकवेला (1) को सिराज के हाथों कैच करा दिया.


उनादकट जयदेव चार साल पहले आईपीएल में उस समय हुए जब वह रॉयल चैंलेंजर बेंगलुरु की गेंदबाजी के मुख्य हथियार बने थे. इसके बाद से वह लगातार मजूबत गेंदबाज के रूप में उभरे हैं. वह कहते हैं, ''कई बार मैं खुद से ही अपने टेस्ट डेब्यू के बारे में सवाल करता हूं, क्या उस समय मैं ज्यादा युवा था? मैं इसका जवाब इस तरह से देता हूं कि टेस्ट डेब्यू में भी मैं बढ़िया गेंदबाजी कर रहा था. लेकिन शायद उस डेब्यू ने मुझे और बेहतर गेंदबाज बनने के लिए प्रेरित किया.''



जयदेव कहते हैं, ''कोई भी खिलाड़ी जो घरेलू क्रिकेट में खेलता है, टी-20, एक दिवसीय और रणजी ट्रॉफी वह जल्दी ही मैच्योर हो जाता है. इसलिए टेस्ट डेब्यू के बाद मैंने घरेलू क्रिकेट खेला. मैं यह जानता था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर परफॉर्म करने के लिए क्या जरूरी होता है.''


2013 के आईपीएल में उनकी गेंदबाजी में अहम गति दिखाई दी. लेकिन तब भी गेंद पर उनका नियंत्रण बहुत अच्छा नहीं था, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ वह नियंत्रण भी दिखाई दिया और वेरिएशन भी. बेशक उनकी गेंदबाजी को परिपक्व होने में थोड़ा समय लगा लेकिन इस साल आईपीएल में राइजिंग पुणे सुपरजाइंट की तरफ से खेलते हुए उन्होंने शानदार गेंदबाजी का प्रदर्शन किया. 



जयदेव ने 13.41 की औसत से 24 विकेट लिए. उनकी इकोनॉमी 13.41 रही. कप्तान स्मिथ ने उनका खूबसूरत ढंग से इस्तेमाल किया. इसने जयदेव को नया आत्मविश्वास दिया. जयदेव कहते हैं, ''भुवनेश्वर प्रेशर में बहुत अच्छी गेंदबाजी करते हैं. जसप्रीत को भी लगातार बेहतर गेंदबाजी करते देख रहे हैं. मैं इन्हें गेंदबाजी करते देखकर लगातार सीखने की कोशिश करता हूं.


हालांकि,  उनादकट खुद जानते हैं कि अभी उन्हें लंबा सफर तय करना है. देखना है आने वाले समय में उनादकट कैसे टीम इंडिया के लिए एक बेहतरीन गेंदबाज के रूप में उभरते हैं.