नई दिल्ली : श्रीलंका के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है. तीन नए खिलाड़ियों को पहली बार टीम इंडिया में चुना गया है. वासिल थंपी और दीपक हुड्डा के साथ ये नाम है वॉशिंगटन सुंदर का. तमिलनाडु का ये खिलाड़ी अपने नाम और टीम में अपने रोल के कारण भी काफी चर्चा में रहा है. सुंदर सबसे पहले लोगों का ध्यान अपने नाम के कारण खींचते हैं. उनका नाम वॉशिंगटन कैसे पड़ा इसके पीछे भी एक कहानी है. सुदंर के पिता भी तमिलनाडु के लिए रणजी क्रिकेट खेल चुके हैं.


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आइए अब बताते हैं कि किस तरह सुंदर का नाम वॉशिंगटन पड़ा और किस तरह टीम में वह बल्लेबाज की जगह गेंदबाज बन गए.


गॉडफादर के नाम पर यूं पड़ा नाम
आपको लग रहा होगा कि वॉशिंगटन सुंदर का नाम अमेरिका के शहर वाशिंगटन या जोर्ज वॉशिंगटन से प्रेरित है.  लेकिन ऐसा नहीं है. वाशिंगटन सुंदर के पिता एम. सुंदर के अनुसार उन्होंने बेटे का नाम अपने गॉडफादर पीडी वाशिंगटन के नाम पर रखा है. उन्होंने बताया, ‘मैं हिंदू हूं. हमारे घर के पास दो गली छोड़कर एक्स-आर्मी पर्सन पीडी वाशिंगटन रहते थे. वो क्रिकेट के बहुत शौकीन थे. वो हमारा मैच देखने ग्राउंड पर आते थे. वो मेरे खेल में इंटरेस्ट लेने लगे. यहीं से हमारे बीच अच्छा रिलेशनशिप बन गया.’


टीम इंडिया में पहली बार जगह बनाने वाले जानिए इन तीन खिलाड़ियों को


सुंदर के पिता के मुताबिक, ‘हम गरीब थे. वाशिंगटन मेरे लिए यूनिफॉर्म खरीदते थे, मेरी स्कूल फीस भरते थे, किताबें लाते थे, अपनी साइकिल पर मुझे ग्राउंड ले जाते थे. उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया. मेरे लिए वो सबकुछ थे. जब रणजी की संभावित टीम में मेरा सिलेक्शन हुआ था तो वो सबसे ज्यादा खुश हुए थे.’


बल्लेबाजी में तो खूब दहाड़े, फील्डिंग में फिर करने लगे उल्टियां


तभी अचानक 1999 में वाशिंगटन की डेथ हो गई और इसके कुछ समय बाद ही बेटे का जन्म (5 अक्टूबर, 1999) हुआ. सुंदर के अऩुसार, ‘पत्नी की डिलीवरी काफी क्रिटिकल थी, लेकिन सब ठीक से हो गया. हिंदू रिवाज के अनुसार मैंने बेटे के कान में भगवान (श्रीनिवासन) का नाम लिया, लेकिन ये पहले ही तय कर लिया था कि बेटे का नाम उस इंसान के नाम पर रखना है, जिन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया था.’


बल्लेबाज बनना चाहते थे, लेकिन बन गए गेंदबाज
सुंदर पहले सिर्फ बल्लेबाज बनना चाहते थे, लेकिन वह ऑफ स्पिनर बन गए. सुंदर के अनुसार, शुरुआती दिनों में जब वह क्रिकेट खेलते थे, तो उन्हें उसी समय मैच में अच्छा लगता था, जब वह बल्लेबाजी करते थे या गेंदबाजी. बाकी समय वह बोर होते रहते थे.