Team India: चीखते-चिल्लाते राहुल द्रविड़. गुस्से में लाल राहुल द्रविड़. अतिउत्साहित राहुल द्रविड़. इन तीनों परिस्थितियों के बारे में सोचना भी मुश्किल काम है. किसी भी क्रिकेट फैन ने इस तरह के द्रविड़ को ज्यादा से ज्यादा दो या तीन बार देखा होगा. उसमें से एक हालिया बीते टी20 वर्ल्ड कप के दौरान होगा, जहां वह अपनी आखों को बंद करते हुए और हाथ में टी20 वर्ल्ड कप की ट्रॉफी लिए पूरी ताकत के साथ चिल्ला रहे थे. राहुल द्रविड़ ने हाल ही में अपने उस सेलिब्रेशन के बारे में खुल कर बात की और मजाकिया अंदाज में अपने बेटे के लिए भी कुछ खास कहा.


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टी20 वर्ल्ड कप जीत के सेलिब्रेशन पर खुलकर बोले द्रविड़ 


राहुल द्रविड़ ने स्टार स्पोर्ट्स से कहा, 'हम पिछले कुछ समय से कई बार बड़ी ट्रॉफी के करीब आ रहे थे. हम टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचे, हमने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला और वनडे वर्ल्ड कप में भी हम फाइनल में थे, लेकिन हमारी टीम ट्रॉफी प्राप्त करने के लिए आखिरी लाइन को पार करने में सफल नहीं हो पा रही थी.


ढाई सालों से काफी मेहनत की


राहुल द्रविड़ ने कहा, 'हालांकि टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद मुझे अपनी टीम के लिए और हर उस व्यक्ति के लिए काफी अच्छा महसूस हो रहा था, जिन्होंने पिछले ढाई सालों से काफी मेहनत की है. इसी कारण से मैं उस तरह सेलिब्रेट कर रहा था. कुल मिलाकर राहत और खुशी बाहर निकल कर सामने आ रही थी. हालांकि एक बात यह भी है कि मुझे उस तरह से सेलिब्रेट करने के बारे में थोड़ा सतर्क होना पड़ेगा. मेरा बेटा मुझे देख कर सोच रहा होगा कि 'पता नहीं मेरे पिता क्या कर रहे हैं' (हंसते हुए).'


द्रविड़ ने साल 2021 में कोचिंग संभाली


राहुल द्रविड़ ने अपनी कोचिंग का प्रभार नवंबर 2021 में संभाला था. उनका पहला विदेशी दौरा उस देश में था, जहां भारत ने कभी भी कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती थी. जब द्रविड़ से पूछा गया कि भारतीय टीम के कोच रहते हुए, उनके लिए सबसे मुश्किल समय कौन सा था तो उन्होंने अपने पहले दक्षिण अफ्रीकी दौरे के बारे में बात की.


टीम इंडिया के कोच रहते सबसे मुश्किल दिन


राहुल द्रविड़ ने कहा, 'दक्षिण अफ्रीका दौरा हमारे लिए काफी मुश्किल दौरा था. हमने उसे दौरे पर सेंचुरियन में पहला टेस्ट जीत लिया था. हम सबको पता था कि दक्षिण अफ्रीका में हमने कभी भी कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती है. हमारे लिए यह बहुत बड़ा मौका था. हालांकि एक बात यह भी है कि हमारी टीम में कई सीनियर खिलाड़ी तब मौजूद नहीं थे. रोहित शर्मा तब चोटिल होने के कारण टीम से बाहर थे. कुछ और सीनियर खिलाड़ी भी टीम में नहीं थे.'


राहुल द्रविड़ ने किया चौंकाने वाला खुलासा


राहुल द्रविड़ ने कहा, 'बाकी के दोनों टेस्ट मैच काफी करीबी हुए. दोनों टेस्ट मैचों की तीसरी पारी में हमारे पास बड़ा मौका था. हालांकि तब दक्षिण अफ्रीका की टीम ने काफी बेहतर खेल दिखाया था और चौथी पारी में उन्होंने अच्छा चेज किया. मैं कहूंगा कि भारतीय टीम का कोच रहते हुए यह मेरे लिए सबसे मुश्किल भरे दिन थे.'


गेम के बारे में बहुत कुछ सीखा


राहुल द्रविड़ ने कहा, 'हालांकि वहां से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला. वहां हमने अपने गेम के बारे में बहुत कुछ सीखा और यह भी सीखा कि हमें किन चीजों पर काम करने की जरूरत है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कोच के तौर पर आपको हमेशा एक जैसे दिन देखने को नहीं मिलेंगे. उतार-चढ़ाव आता रहेगा. यह समझने की जरूरत है कि आपको हमेशा जीत नहीं मिलने वाली है. बाकी की टीमें भी खेलने ही आई हैं और आप वर्ल्ड क्लास टीमों का सामना कर रहे हैं.' 


जीत और हार के बैलेंस को समझना होगा


राहुल द्रविड़ ने कहा, 'आपको जीत और हार के बैलेंस को समझना होगा. आपके पास हमेशा जीतने का विकल्प नहीं है, लेकिन आपके पास यह विकल्प जरूर है कि आप हमेशा अच्छी तरह से तैयारी करें. साथ ही आपके पास यह भी विकल्प है कि आप बिल्कुल सही टीम चुनें, लेकिन इन सब चीजों के बावजूद भी आपको हार मिल सकती है और आपको उस बैलेंस को समझना होगा.' द्रविड़ से यह भी पूछा गया कि वह भारतीय टीम में मौजूद सभी सीनियर और सुपरस्टार खिलाड़ियों को एकजुट करने में कैसे सफल रहे? तो उन्होंने कहा कि वह इस बात का पूरा क्रेडिट नहीं ले सकते और इसका काफी बड़ा श्रेय रोहित शर्मा को भी जाता है.